New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 04 जनवरी, 2017 01:46 PM
खुशदीप सहगल
खुशदीप सहगल
  @khushdeepsehgal
  • Total Shares

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 जनवरी को लखनऊ में बीजेपी की मेगा रैली में कहा कि वो काला धन और भ्रष्टाचार हटाना चाहते हैं लेकिन विरोधी दल मोदी को हटाना चाहते हैं. ये कुछ कुछ वैसा ही जैसा कि 1971 में इंदिरा गांधी ने कहा था. इंदिरा गांधी ने तब कहा था कि वो गरीबी हटाना चाहती हैं और विरोधी दल इंदिरा को हटाना चाहते हैं.

प्रधानमंत्री ने लखनऊ में जो कुछ भी बोला उसने संकेत दे दिया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की चुनावी रणनीति क्या रहने वाली है. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने साफ कर दिया है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश का चुनाव विकास के अजेंडे पर लड़ेगी और पार्टी चुनाव से पहले किसी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं करेगी. नायडू ने ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश के लोग प्रधानमंत्री मोदी को 'विकास का चेहरा' मानते हुए उनकी तरफ देख रहे हैं. यानी तय है कि बीजेपी की रणनीति मोदी को ही आगे रखकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने की है.

बीजेपी ये भी जानती है कि नोटबंदी को लेकर लोगों को होने वाली परेशानी को विरोधी दल इस चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. ये भी हकीकत है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी का एलान करते हुए जैसा वादा किया था कि 50 दिन में स्थिति सामान्य हो जाएगी, वैसा हुआ नहीं. बैंकों और एटीएम में कैश की स्थिति पहले से थोड़ी बेहतर हुई है लेकिन इसे पूरी तरह सामान्य होने में कई महीने का समय लग सकता है. हालत ये है कि उद्योग धंधे ठप होने की वजह से लोगों को शहरों से गांवों की ओर उलटा पलायन करना पड़ा है. किसानों के पास बीज खरीदने के लिए कैश नहीं है. फैक्ट्रियों का उत्पादन औसतन 30 फीसदी तक गिर गया है.    

ये भी पढ़ें- नोटबंदी के बाद यूपी में बीजेपी की बदली रणनीति

नोटबंदी से जुड़े ये सारे तथ्य हैं जो उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. इस वजह से अब बीजेपी की पूरी कोशिश है कि चर्चा में नोटबंदी से फोकस हटे और लोगों का ध्यान स्थानीय मुद्दों की ओर केंद्रित किया जाए. पार्टी ने अपने पोस्टर-होर्डिंग में भी अब स्थानीय मुद्दों को ही तरजीह दी है. इस संबंध में बीजेपी नेताओं को निर्देश दिए जा चुके हैं. उनसे कहा गया है कि लोगों तक संदेश जोरशोर से पहुंचाया जाए कि केंद्र के साथ यूपी में भी बीजेपी की सरकार होगी तो सही मायने में प्रदेश के लोगों को विकास का लाभ मिलेगा. लखनऊ में मोदी ने सोमवार को कहा भी कि यूपी में 14 वर्ष से चल रहा 'विकास का वनवास' तभी खत्म होगा जब लोग यहां बीजेपी को दोबारा सत्ता में वापस लाएंगे.    

pm-modi-lko650_010417121338.jpg
'यूपी में 14 वर्ष से चल रहा 'विकास का वनवास' तभी खत्म होगा जब लोग यहां बीजेपी को दोबारा सत्ता में वापस लाएंगे':प्रधानमंत्री

बीजेपी 'हाउसिंग मिशन' का हवाला देकर बता रही है कि किस तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार होने की वजह से इस योजना का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच सका. बीजेपी ये संदेश देना चाह रही है कि 'हाउसिंग मिशन' के लिए जमीन उपलब्ध कराना राज्य सरकार का काम है, जिसे सही तरीके से अंजाम नहीं दिया गया. बीजेपी के मुताबिक यूपीए सरकार ने अपने दस साल के कार्यकाल में 12.50 लाख आवास मंजूर किए. जबकि मोदी सरकार ने योजना के एक साल में ही 14.70 लाख आवास मंजूर किए.

कैशलेस भुगतान की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बीते हफ्ते लॉन्च किए गए 'भीम ऐप' को भी भुनाने में बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ रही. इस ई-पेमेंट ऐप का नाम भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM) है. इस ऐप में अंगूठे की बॉयोमेट्रिक पहचान के जरिए ही भुगतान किया जा सकता है. ऐप को 'भीम' नाम से प्रचारित करने के पीछे दलित वोटों को लुभाना मकसद हो सकता है. ये संदेश देना है कि दलित वर्ग को मोबाइल बैंकिंग से ज्यादा से ज्यादा जोड़ने के लिए इसका नाम बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम से जोड़ा गया है.

ये भी पढ़ें- समाजवादी दंगल का फायदा उठाना है, तो राजनाथ को सीएम प्रोजेक्ट करे बीजेपी!

समाजवादी कुनबे का दंगल भी बीजेपी को चुनावी नफा-नुकसान सोचने को मजबूर कर रहा है. बीजेपी समाजवादी परिवार में मचे घमासान पर बारीकी से नजर रखे हैं. बीजेपी का मानना है कि समाजवादी दोफाड़ हुई तो अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण बीएसपी की ओर हो सकता है. यही वजह है कि बीजेपी अपनी रणनीति मे बीएसपी के भ्रष्टाचार को फिलहाल समाजवादी कुनबे के दंगल से ऊपर रख रही है.  

लेखक

खुशदीप सहगल खुशदीप सहगल @khushdeepsehgal

लेखक आजतक में न्यूज़ एडिटर हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय