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Updated: 30 जून, 2017 05:46 PM
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वहशी भीड़ के कातिल कारनामों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही गुस्से में हों, या फिर भावुक हो जाते हों - लेकिन लोग इससे कनेक्ट नहीं हो रहे. साबरमती आश्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जी भर कर प्रतिक्रिया दी. लोगों ने एक्शन की दरकार जतायी और समझाया कि महज भाषण से काम तो नहीं चलने वाला.

मोदी की बातों का असर होता तो दूर, झारखंड के रामगढ़ में जहां बीजेपी की ही सरकार है ऐसे ही लोगों ने उनकी फिक्र को हवा में उड़ाने में जरा भी देर नहीं की. रही सही कसर उनके कैबिनेट सहयोगी मुख्तार अब्बास नकवी ने पूरी कर दी - ऐसी घटनाओं की निंदा की विपक्षी नेताओं की रिक्वेस्ट ठुकरा कर.

नहीं सुना रामगढ़ वालों ने

गुजरात दौरे पर गये प्रधानमंत्री मोदी की बातें पहुंची तो झारखंड भी होंगी लेकिन रामगढ़ में उनका कोई असर नहीं दिखा. बीफ के नाम पर एक मुस्लिम युवक को पीट पीट कर मार डाला.

alimuddin ramgarhझारखंड के रामगढ़ में मोदी की आवाज से पहले पहुंची मौत

रांची से सटे रामगढ़ में अलीमुद्दीन नाम का एक युवक गाड़ी में मांस लेकर जा रहा था. किसी ने गाड़ी में बीफ होने की अफवाह उड़ा दी. देखते देखते लोगों की भीड़ जुट गयी और गाड़ी पर धावा बोल दिया.

बोला तो अच्छा, मगर एक्शन?

बल्लभगढ़ में ईद के मौके पर खरीदारी कर घर लौटते वक्त मारे गये जुनैद के पिता को इस बात से तो राहत है कि प्रधानमंत्री ने ऐसे मामलों पर अपनी बात रख कर चिंता जतायी है, मगर इसे वो भी नाकाफी मानते हैं. पूछे जाने पर जुनैद के पिता जलालुद्दीन ने कहा - प्रधानमंत्री ने जो बोला अच्छा बोला है... कोई बात नहीं ठीक है. हर महीने हादसे होते हैं. पीएम एक्शन लें तें लो अच्छा हो जायेगा.

तो ये हाथी के दांत हैं!

मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने तो पहले ही साफ कर दिया था कि मुस्लिम समुदाय में डर या असुरक्षा का कोई माहौल नहीं है. बाद में संसदीय अल्पसंख्यक सलाहकार समिति की मीटिंग में जब विपक्षी सदस्यों ने मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि देने की बात कही तो नकवी सहमत नहीं हुए. नकवी की दलील थी कि जो वे चाह रहे हैं वो एजेंडा में नहीं है.

narendra modiअहिंसा परमो धर्म: ...लेकिन जुनैद जैसों पर हमला करने वालों के लिए ये संदेश मायने नहीं रखता.

विपक्षी सदस्य चाहते थे कि भीड़ की बर्बरता के शिकार बने लोगों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी जाये और एक प्रस्ताव पारित कर ऐसी घटनाओं की निंदा की जाये. जब नकवी ने इसकी मंजूरी नहीं दी तो विरोध में सदस्य मीटिंग का बहिष्कार करते हुए उठ कर चले गये. इस मीटिंग में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ईटी मोहम्मद बशीर, तृणमूल कांग्रेस के इदरीस अली, जेडीयू के अली अनवर अंसारी और कांग्रेस के मौसम नूर, जॉय अब्राहम और एमआई शानवास शामिल थे.

मीटिंग के बहिष्कार के बाद अंसारी ने मीडिया से कहा, “मीटिंग में मेरे सहित सभी संसद सदस्यों ने नकवी जी से जुनैद की हत्या और ऐसे मामलों की निंदा करने की गुजारिश की. हमने इसे कार्यवाही के रिकॉर्ड में भी शामिल किये जाने की मांग की."

साबरमती आश्रम पीएम मोदी ने कहा कि 'समाज में हिंसा की कोई जगह नहीं है. गौ-भक्ति के नाम पर लोगों की हत्या स्वीकार नहीं की जाएगी. महात्मा गांधी आज होते तो इसके खिलाफ होते.'

प्रधानमंत्री के बयान पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया में ट्विटर पर कहा कि बोलने से कुछ नहीं होता जब तक कि उस पर अमल न हो. राहुल गांधी ने कहा, "बहुत कम, बहुत देर से. जब तक बात पर अमल न हो शब्दों के कोई मायने नहीं हैं."

प्रधानमंत्री मोदी ने भले गौ-हत्या के नाम पर कत्ल करने वालों को मैसेज देने की दोबारा कोशिश की हो. अपने बयान में भले ही मोदी ने महात्मा गांधी की दुहाई दी हो, लेकिन रामगढ़ की घटना और नकवी का स्टैंड उसका माखौल उड़ाता है. नकवी के स्टैंड से भी साफ है कि वो भी अमित शाह की तरह गांधी को एक चतुर बनिया से ज्यादा नहीं समझते. अब अगर कोई प्रधानमंत्री के बयान को हाथी दांत जैसा समझता है तो उसमें गलत क्या है?

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