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Updated: 25 अगस्त, 2016 06:15 PM
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जयपुर राजघाने की राजकुमारी दीया कुमारी को 25 अगस्त 2016 से पहले हर किसी ने शिफॉन साड़ी में गुड़िया की तरह मुस्कुराते हुए ही देखा था. मगर 25 अगस्त को सुबह आठ बजे सलवार शूट में चप्पल पहने दीया कुमारी को बदहवास कभी बुलडोजर तो कभी अधिकारियों के पास दौड़ते हुए दुनिया ने पहली बार देखा. दीया कुमारी की धीमी आवाज को सुनने के लिए लोगों को कान पर जोर लगाना पड़ता था लेकिन पहली बार सबने दीया कुमारी को आईएएस अधिकारियों पर चीखते हुए देखा. दरअसल दीया कुमारी अपनी 2 हजार करोड़ की मिल्कियत को बचाने के लिए बेहद हैरान परेशान थीं. राजस्थान सरकार ने राजपरिवार के राजमहल पैलेस से जुड़े करीब 13 बीघे जमीन पर कब्जा लेकर राजमहल पैलेस के तीन गेटों पर ताला जड़ दिया था. जिस बीजेपी पार्टी की विधायक थी दीया कुमारी उसी के राज में 23 साल पुराने सरकार के फैसले को जबरन लागू किया जा रहा था. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी होने के बावजूद वसुंधरा राजे के जयपुर से बाहर जाते हीं ऐसा क्या हुआ कि सरकार इतनी जल्दीबाजी में दिखने लगी. अभी तो तीन दिन पहले हीं ब्रिक्स के महिला सांसदों के सम्मेलन में डिनर के दौरान जयमहल पैलेस में दीया कुमारी और वसुंधरा राजे साथ ही डीनर की थीं. दरअसल लोगों में इस बात को लेकर चर्चा है कि राजमहल पैलेस को लेकर वसुंधरा राजे और दीया कुमारी में तनाव चल रहा था.

कौन है दीया कुमारी

दीया कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी हैं और मौजूदा महारानी पद्ममिनी देवी और स्वरर्गीय भवानी सिंह की इकलौती बेटी हैं. दीया कुमारी उस समय सुर्खियों में पहली बार आईं थी जम महल में काम करने वाले नरेंद्र सिंह से शादी कर ली थी. एक ही गोत्र होने की वजह से राजपूत समाज ने इसका खूब विरोध किया था मगर आजाद खयालों वाले पिता ब्रिगेडियर सिंह और मां पद्मिनी ने बेटी के फैसले का साथ दिया. दीया कुमारी के बेटे पद्नामभन सिंह को महाराज बनाकर जयपुर राजघराने का मुखिया पिछले महीने ही घोषित किया गया है. जबकि छोटे बेटे लक्ष्‍यराज सिंह को हिमाचल के सिरमौर के नाहन पैलेस का राजा 15 मई 2013 को घोषित किया गया है. एक बेटी भी है जो साथ में जयपुर में रहती है.

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दीया कुमारी ने अपनी पढ़ाई जयपुर, दिल्ली और लंदन से की है. दिल्ली के मॉडर्न स्कूल, जयपुर के महारानी गायत्री देवी स्कूल में पढ़ने के बाद वो डेकोरेटिव आर्ट्स की पढ़ाई करने लंदन चली गई थीं. वहां से लौटने के बाद उन्‍होंने जयपुर राजघराने की बिखरी संपत्तियों को संवारना शुरू किया. जयगढ़, सिटी पैलेस और राजमहल पैलेस को हेरिटेज संपत्तियों में ढालकर दुनिया भर में मशहुर हुईं. महाराजा सवाई सिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट, जयपुर एवं जयगढ़ पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की जिम्मेदारी भी संभाली. इसके बाद अपने चाचा पृथ्वी सिंह और जय सिंह से लड़ते हुए पूर्व महारानी गायत्री देवी के पोते देवराज और लालित्या को उनकी संपत्ति हासिल करने में खुलकर मदद की. गायत्री देवी की वसीयत की ये लड़ाई भी काफी मशहूर हुई. राजमहल के जिस जगह को सरकार ने कब्जे में लिया था उस जगह को लेकर भी दीया कुमारी की चाचाओं से झगड़ा चल रहा है. दिसंबर 2013 में जब माथे पर आंचल रखे शिफॉन साड़ी में लिपटी दीया कुमारी सवाईमाधोपुर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं तो सबसे ज्यादा चुनावी सुर्खियां दिया कुमारी हीं बटोर रहीं थी. दीया कुमारी कभी झोंपड़ी में रोटी बनातीं तो कभी हैंडपंप पर पानी ऊरकर पीने लग जातीं थी.

कैसे आईं राजनीति में, कैसा रिश्ता है वसुंधरा राजे के साथ

धौलपुर राजघराने की पूर्व महारानी वसुंधरा राजे जब दिसंबर 2003 में पहली बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी तब जयपुर राजघराना कांग्रेस पार्टी के नजदीक हुआ करता था. पूर्व महराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह कांग्रेस की टिकट पर जयपुर से चुनाव लड़ चुके थे. लेकिन उनकी बेटी और जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी जब राजघराने की मुखिया बनीं तो राजपरिवार का झुकाव वसुंधरा राजे की तरफ होने लगा. इस चर्चा को तब बल मिला जब 2007 में खुद वसुंधरा राजे जयपुर राजघराने के दशहरा उत्सव में शामिल हुईं और राजपरिवार की महिलाओं के साथ राजशी पोशाक में बैठकर अल्बर्ट हॉल पर शाही लवाजमे का स्वागत किया. दरअसल जयपुर राजघराने का 10 हजार करोड़ की संपत्तियों का राजस्थान सरकार से विवाद चल रहा है. इस दोस्ती को इससे जोड़कर देखा जाने लगा लेकिन तब तक 2008 में बीजेपी सरकार चली गई. बताया जाता है कि जब वसुंधरा राजे विपक्ष में रही तब राजघराने ने इनका भरपूर साथ दिया.

वसुंधरा राजे जब मई 2013 चुनाव  लड़ने के लिए दुबारा लौटीं तो सभी को चौंकाते हुए अपने सुराज संकल्प यात्रा की घोषणा के लिए जयपुर राजपरिवार के निवास सिटी पैलेस को चुना. पहली राजनीतिक बैठक सिटी पैलेस में होने को लेकर सियासी गलियारे में जयपुर राजघराने की सियासी महत्वाकांक्षाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई. इस मीटिंग में वसुंधरा राजे के साथ राजकुमारी दीया कुमारी भी मौजूद थीं.

वसुंधरा राजे ने बनवाया विधायक

टिकट बंटवारा हुआ तो वसुंधरा राजे ने ऐन वक्त पर 10 सितंबर 2013 को एक हीं दिन दीया कुमारी को बीजेपी में शामिल किया और बुलाकर कहा कि वो वसुंधरा के कट्टर दुश्मन किरोड़ी लाल मीणा के खिलाफ सवाईमाधोपुर सीट से चुनाव लड़ें. दिया कुमारी तैयार नही हो रही थी जयपुर के बाहर वो कभी गई नहीं है वहां से चुनाव कैसे लड़ेंगी. वसुंधरा राजे ने भरोसा दिया कि वो चुनाव लड़ें और जिताने की जिम्मेदारी हमारी होगी. वाकई में वसुंधरा राजे ने खुब मेहनत की और दिया कुमारी भारी मतों से चुनाव जीत गईं. वसुंधरा राजे ने दिया कुमारी को खुद अपने नारो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का राजस्थान का ब्रांड एंबेसडर बना दिया. मुख्यमंत्री बनने के बावजूद वसुंधरा राजे सिटी पैलेस के सभी कार्यक्रमों में राजपरिवार के साथ शामिल होती रहती थीं.

 

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बीजेपी की राजनीति में राजकुमारी दिया कुमारी को आगे लाईं वसुंधरा राजे.

कारोबारी तनाव में रहा राजमहल पैलेस

बीजेपी की सरकार बनते ही राजपरिवार के पुराने पैलेस जो अब होटल बन गया है राजमहल पैलेस, उसका करार सुजैन ग्रुप के साथ हो गया और होटल का नाम सुजैन राजमहल पैलेस हो गया. सुजैन ग्रुप को लेकर तरह-तरह की चर्चा होती रहती है. इसबात के कोई सुबूत तो नही है लेकिन लोगों में चर्चा रहता है कि सुजैन ग्रुप और राजमहल पैलेस के बीच रिश्ते कभी ठीक नही रहे

ये बात किसी के गले नही उतर रही है कि 1993 के अवाप्ति के फैसले को अचानक लागू करने की इतनी जल्दीबाजी राजस्थान सरकार को क्यों हुई कि किसी को कानों-कान खबर नही हुई और इतना बड़ा सरकारी लवाजमा कब्जा लेने पहुंच गया. जमीन भले हीं 1993 के अवाप्ति के आदेश के तहत कब्जे में लिया हो मगर राजमहल पैलेस के गेट को सिल करना सबको अचंभा में डाल गया.

क्या हुआ 25 अगस्त2016 को

जयपुर के पांच सितारा पैलेस राजमहल पैलेस को सुबह-सुबह राजस्थान सरकार ने सील कर दिया है. सभी लोगों को बाहर निकाल दिया गया है. जयपुर राजघराने के इस होटल और जमीन पर कब्जे को लेकर जयपुर में खूब ड्रामा हुआ. राजघराने की राजमहल पैलेस की 13 बीघा जमीन पर भी कब्जे को लेकर जयपुर विकास प्राधिकरण का जाब्ता सुबह 6 बजे राजमहल पैलेस पहुंच गया जब राजघराने से जुड़े लोग सो रहे थे. सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों और दर्जनों अधिकारियों की फौज ने घरों से सामान निकालकर पुरानी हवेलियां तोड़ना शुरू किया तो हंगामा खड़ा हो गया. पूर्व राजकुमारी और बीजेपी एमएलए भागी-भागी राजमहल पैलेस पहुंचीं, जहां कोर्ट के कागजात दिखाकर कब्जे की कार्रवाई रोकने की कोशिश की. लेकिन अधिकारियों ने दीया कुमारी की एक नहीं सुनी. नाराज दीया कुमारी ने अधिकारियों को खूब खरी-खोटी सुनाई. दिया कुमारी ने अपनी ही बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार खाली पड़ी इस जमीन पर माल बनाने के लिए कब्जा करवाना चाहती है.

क्‍यों बिगड़े वसुंधरा और दिया कुमारी के रिश्‍ते?

सियासी हलकों से लेकर आम जनता में हर तरफ चर्चा हो रही है कि आखिर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राजकुमारी दिया कुमारी की दोस्ती में क्या बिगड़ा कि नौबत कब्जा लेने तक की हो गई. वसुंधरा राजे ने जयपुर राजकुमारी को बीजेपी का टिकट देकर सवाईमाधोपुर से विधायक बनवाया है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूटान यात्रा के लिए जयपुर से बाहर जाते ही कब्जे की आचानक कार्रवाई से तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इस मामले पर राजपरिवार और सरकार दोनों ही आधिकारिक रूप से कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. दो दिन पहले हीं जयमहल पैलेस में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर राजघराने के साथ डिनर किया था और दो दिन बाद ही कब्जे में लेने को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है.

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आजादी के बाद राजस्थान सरकार ने इस पैलेस के आस-पास की जमीने कब्जे में लेने का फैसला किया गया. 1993 में सरकार ने पैलेस के बाहर की 12 बीघा की अवाप्ति कर मुआवजा राजपरिवार के खाते में जमा करवा दिया जिसे राजपरिवार ने लेने से मना कर दिया. मामला कोर्ट में चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट से नियुक्ति रीसिवर बैठा है लेकिन इसके बावजूद राजस्थान सरकार ने इसे कब्जे में ले लिया.  सरकार ने ये कहते हुए होटल को सील कर दिया कि इसके निकले के दरवाजे अवाप्ति की हुई जमीन में आते हैं.

क्या है राजमहल का इतिहास

इस राजमहल पैलेस को 1729 में मौज महल के रुप में इसे सवाई जयसिंह द्वितीय ने बनवाना शुरु किया था. बाद में 1821 में, राजमहल पैलेस राजपूताना के ब्रिटिश निवासी राजनीतिक अधिकारी का सरकारी निवास बन गया, जिसे रेसीडेन्सी नाम दिया गया. 1958 में जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ने इसे राजपरिवार का आधिकारिक निवास बनाया. रामबाग से निकलकर राजपरिवार इसी जगह रहने के लिए आ गया. जिसके एक हिस्से में अब भी राजपरिवार खुद रहता है. इस पैलेस में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, एचआरएच एडिनबर्ग समेत ब्रिटिश शाही परिवार के कई अन्य सदस्यों, और जैसे जैकी कैनेडी, लॉर्ड और लेडी माउंटबेटन और के शाह ईरान रुक चुके हैं.

क्या है राजमहल पैलेस का विवाद

राजमहल पैलेस की कुल 120 बीघा जमीन थी. जिस पर सरकार ने 65 बीघा पर आवाप्ति 1972 सें शुरु की. जिसके लिए 1993 में अवाप्ति की घोषणा की मगर मामला कोर्ट में पहुंच गया. 54 बीघा पर राजपरिवार ने अपना दावा जताया.24 नवंबर 2011 के जयपुर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने राजपरिवार के पक्ष में डिक्री दी जिसे राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है. लेकिन 25 अगस्त को वसुंधरा सरकार ने 23 साल बाद 1993 के राजस्थान सरकार के फैसले की विवेचना करते हुए कहा कि ये फैसला जमीन के स्वामित्व से जुड़ा था न कि अवाप्ति का और जमीन को 1993 में अवाप्ति मानते हुए कब्जे में ले लिया. साथ हीं दीया कुमारी हाईकोर्ट से रिलीफ न ले पाएं इसके लिए राजस्थान सरकार कल सुबह हीं जयपुर हाईकोर्ट में कैविएट भी दायर कर दी.

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