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Updated: 12 अप्रिल, 2017 01:55 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद अब बारी है राष्ट्रपति चुनाव की. देश को अगला राष्ट्रपति मिलने में मात्र दो महीने ही बचे हैं. इस चुनाव में बीजेपी पर्याप्त वोट की जुगाड़ में दिन रात एक किए हुए है. वर्तमान में देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी हैं और जुलाई में नए राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है. उत्तर प्रदेश के चुनाव में मोदी ने अपने नाम पर वोट मांगे और भारी बहुमत हासिल करते हुए जनता को योगी आदित्यनाथ के रूप में नया मुख्यमंत्री दिया. तो अब सवाल ये, कि क्या प्रणब मुखर्जी की सेवानिवृत्ति के बाद मोदी अपनी मर्जी का राष्ट्रपति देश को दे पाएंगे?

जब देश के सबसे बड़े राज्य यानी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भारी बहुमत हासिल किया तो उसके लिए अपने मन का राष्ट्रपति चुनना थोड़ा आसान तो जरूर हुआ लेकिन जरूरी मतों से अभी भी दूर है. तो आइये समझते हैं कि आखिर कैसे बीजेपी अपनी पसंद के राष्ट्रपति बनवाने में मुश्किलों का सामना कर सकती है.

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राष्ट्रपति केलिए जरूरी मतों की संख्या

- भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदन यानी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के अलावा विधानसभा के सदस्य भी भाग लेते हैं. इन सांसदों और विधायकों के वोटों का कुल मूल्य 10,98,882 होता है और किसी भी राष्ट्रपति के उमीदवार को चुनाव जीतने के लिए 5.49 लाख वोट प्राप्त करना जरूरी होता है. वर्तमान में बीजेपी गठबंधन के पास 5 लाख 32 हजार 592 वोट हैं. इसका मतलब साफ है कि अभी भी भाजपा को करीब 15 हजार वोटों की और दरकार है ताकि वो राष्ट्रपति चुनाव बिना किसी परेशानी के जीत सकें.

- सांसदों के एक वोट का मूल्य 708 निश्चित होता है लेकिन विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या के अनुसार होता है. जैसे सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है, तो सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का मूल्य मात्र 7 है.

- लोकसभा में एनडीए के कुल 339 सांसद हैं जिनमें दो मनोनीत सदस्य हैं. मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में वोट नहीं दे सकते, ऐसे में वोट देने वाले कुल सदस्य 337 हुए. हर सांसद के वोट का मूल्य 708 के हिसाब से एनडीए के कुल 2 लाख 38 हजार 596 वोट हुए.

- 245 सांसदों वाली राज्यसभा में एनडीए के कुल 74 सांसद हैं जिसमें चार मनोनीत हैं तो बचे 70 सांसद. एक वोट का मूल्य 708 के हिसाब से राज्यसभा में एनडीए के 49 हजार 560 वोट हुए.

- विधायकों के वोट का हिसाब करें तो एनडीए के 1805 विधायकों के वोटों का मूल्य 2 लाख 44 हजार 436 है.

- अगर हम एनडीए के सांसद और विधायकों का वोट जोड़ते हैं तो कुल 5 लाख 32 हजार 592 हुआ, यानी एनडीए को अभी जीत के लिए और 14 हजार 236 वोट चाहिए.

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शिवसेना बिगाड़ सकती है खेल

एक तरफ जहां बीजेपी विपक्षी पार्टियों की तरफ से चिंतामुक्त है वहीं उसके अपने और सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना को लेकर आश्वस्त नहीं दिख रही है. शिवसेना संघ प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाये जाने की मंशा भी जाहिर कर चुकी है. वैसे भी दोनों पार्टियों के बीच संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं. ये दोनों पार्टियां 2014 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और पिछले दिनों हुए बीएमसी चुनाव भी अलग-अलग लड़ चुके हैं. महाराष्ट्र में एक विधायक के वोट का मूल्य 175 है. इस तरह शिवसेना के 63 विधायकों के वोटों का मूल्य 11025 बैठता है. इतना ही नहीं, राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी सांसद या विधायक किसी व्हिप से बंधे हुए नहीं होते लिहाजा क्रॉस वोटिंग की आशंका हमेशा बनी ही रहती है.

अगर शिवसेना, बीजेपी को बगैर ब्लैकमेल किए हुए राष्ट्रपति चुनाव में साथ दे और 10 राज्यों के 12 विधानसभा सीटों एवं 2 लोकसभा उपचुनाव के परिणाम बीजेपी के पक्ष में आती हैं तभी बीजेपी अपनी मर्जी का राष्ट्रपति इस देश को देने में कामयाब हो पाएगी, वरना इसे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि अभी बीजेपी के पास इन सारी समस्याओं को समाधान करने के लिए समय है और सच ही कहा गया है कि राजनीति में कुछ भी सम्भव है.

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लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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