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Updated: 15 अक्टूबर, 2017 03:30 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी के लिए नीतीश गुलाब का फूल लेकर गये थे, लेकिन पूरे दिन उसके कांटे उन्हें चुभते रहे. शुरुआत पटना एयरपोर्ट से ही हो गयी. कहीं देर न हो जाये सोचकर मुख्यमंत्री वक्त से पहले ही पहुंच गये. लाउंज में कुछ देर इंतजार के बाद पीएम को रिसीव करने जैसे ही निकले एसपीजी वालों ने गाड़ी रोक दी - 'पास दिखाओ'.

देखने वाले बताते हैं कि नीतीश बेहद गुस्से में नजर आ रहे थे. पुलिस के आला अफसर भी हैरान थे, लेकिन करते भी क्या? बहरहाल जैसे तैसे दिल्ली फोन मिलाया गया. जब हेडक्वार्टर से निर्देश मिला तब कहीं जाकर गाड़ी आगे बढ़ पाई.

पहला ट्रेलर

गुलाब ही नहीं, प्रधानमंत्री के खाने पीने का भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष ख्याल रखा था. कभी सामने से थाली खींच लेने जैसी तोहमत झेल चुके नीतीश कुमार ने कोई कसर बाकी न रहे इस बात की पूरी कोशिश की. प्रधानमंत्री मोदी के लिए नमकीन कचौड़ी-बालूशाही के साथ सिलाव का मशहूर खाजा के अलावा चना और च्यूड़ा और मूंगफली के भूजा और नारियल का पानी सर्व किया गया. कुल मिलाकर बिहारी स्वाद का बेहतरीन इंतजाम रहा. कहते हैं दिल का रास्ता पेट से होकर गुजरता है, लेकिन जब दिल पर भी दिमाग हावी हो तो ऐसा ही होता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने जल्द ही साफ भी कर दिया, "हमारी यूनिवर्सिटी में दिमाग खोलने और खाली करने का अभियान चलाया जाना चाहिए, तभी देश आगे बढ़ेगा."

nitish kumar, narendra modiफूले के साथ कांंटे तो रहेंगी ही...

मुख्यमंत्री ने बड़ी ही विनम्रता के साथ प्रधानमंत्री के सामने एक मांग रखी. नीतीश कुमार ने कहा, "पहली बार कोई प्रधानमंत्री इस यूनिवर्सिटी में आया है. मैं हाथ जोड़कर गुजारिश करता हूं कि इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दे दें. पटना यूनिवर्सिटी आपको 100 साल तक याद रखेगी."

प्रधानमंत्री ने फौरन जता दिया कि ये बहुत छोटी मांग है और उनके पास बड़ा ऑफर है. पूरे देश के लिए और बिहार भी तो उसी का हिस्सा है. मोदी बोले - 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक आग्रह रखा है और आप सभी ने इस पर तालियां भी बजायीं, लेकिन मैं मानता हूं कि ये बात पुरानी हो गयी है और मैं इसे एक कदम आगे ले जाना चाहता हूं.'

फिर मोदी ने विस्तार से समझाया, 'देश के 10 प्राइवेट और 10 सरकारी यूनिवर्सिटी को वर्ल्ड क्लास बनाने की योजना है. ये सेंट्रल यूनिवर्सिटी से आगे की चीज है. मैं पटना विवि को इसमें शामिल होने का निमंत्रण देता हूं.’

बिहार के मुख्यमंत्री को केंद्र का ये झुनझुना बिलकुल रास नहीं आया और वो अपने हाव भाव से इसे जाहिर होने से भी रोक नहीं पाये. इसका असर अगले पड़ाव के रास्ते में भी दिखा और मोकामा पहुंचने के बाद भी.

दूसरा ट्रेलर

मोकामा में मोदी मगही लहजे के साथ मुखातिब हुए, ‘कइसन हो मोकामा के लोग, तोरा प्रणाम. हम यहां आकर धन्य भे गेलिए.’ लोगों से लोकल टच के साथ सीधे कनेक्ट होने का मोदी का ये पुराना फॉर्मूला है. चार साल पहले बिहार के यदुवंशियों से रिश्ता साधने के मकसद से मोदी ने कहा था कि वो द्वारका से द्वारकाधीश का संदेश लेकर आये हैं.

मोदी जानते हैं कि डिजिटल इंडिया में मैसेज कैसे, कहां पहुंचाना है और उसके लिए कौन से कीवर्ड और टैग की जरूरत पड़ती है. मोदी ये भी अच्छी तरह जानते हैं कि बिहार के लिए जातिवाद कितना अहमियत रखता है. खूब सोच समझ कर मोकामा में मोदी ने परशुराम, रामधारी सिंह दिनकर, श्रीकृष्ण सिंह और बेगूसराय का बार-बार जिक्र किया. इस पूरे बेल्ट में भूमिहारों का दबदबा है जो बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है और मोदी ने उन्हें गियर में लेकर संबोधित किया. ऐसा लग रहा था कि मोदी के दिमाग में दूर दूर तक नीतीश कुमार का नाम नहीं है. अर्जुन के मछली की आंख की तरह मोदी को 2019 में EVM का बटन साफ साफ नजर आ रहा, मौके पर मौजूद हर शख्स आसानी से महसूस कर सकता था.

गुजरात में भले ही कांग्रेस के कैंपेन 'विकास पागल हो गया है' बीजेपी के लिए मुसीबत बना हुआ हो, मोकामा में मोदी का विकास पर ही पूरा जोर रहा. जिस तरह पटना यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा की गैरमौजूदगी का जिक्र हुआ, मोकामा में लोगों को अनंत सिंह की कमी काफी खली - वो भी तब जब प्रधानमंत्री मोदी उन्हीं की बिरादरी के लोगों को संबोधित कर रहे हों. मोकामा अनंत सिंह का गढ़ रहा है और पिछला चुनाव उन्होंने जेल से ही जीता था. देखना होगा मोकामा के बाहुबली के खिलाफ बीजेपी किस कटप्पा को मैदान में उतारती है और वो किस हद तक कामयाब हो पाता है?

नीतीश को मोदी के 2019 की पिक्चर का पहला ट्रेलर पटना में दिखा तो दूसरा मोकामा में. पहले ट्रेलर में मोदी ने नीतीश की बातों को खारिज कर दिया और दूसरे में दरकिनार. आगे आगे देखिये क्योंकि पिक्चर तो अभी पूरी बाकी है - मिशन 2019.

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