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Updated: 11 अप्रिल, 2017 05:13 PM
पीयूष द्विवेदी
पीयूष द्विवेदी
  @piyush.dwiwedi
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एक बौद्ध कथा में कहा गया है कि जिस देश का शासक जैसा होता है, वहाँ की प्रजा और प्रकृति भी वैसी ही हो जाती है. यदि शासक चरित्रवान, कर्मठ और सुदृढ़ है, तो जनता भी इन गुणों से परिपूर्ण रहती है. निष्कर्ष यह कि प्रजा हर प्रकार से अपने नेतृत्वकर्ता का अनुसरण करती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में यह बात एकदम सटीक बैठती है. जब पीएम मोदी ने देश के सत्ता की बागडोर संभाली थी, तब देश में भारी निराशा और जनता में व्यवस्था के प्रति अविश्वास का वातावरण था. लेकिन उन्होंने अपने ऊर्जस्वी व्यक्तित्व और कार्यशैली के जरिए धीरे-धीरे उस निराशा और अविश्वास को समाप्त करने के साथ ही लोगों के मन में व्यवस्था के प्रति खोया हुआ विश्वास भी वापस जगाया. अब अपने नेतृत्वकर्ता की तरह ही देश की जनता भी ऊर्जा और उत्साह से भरपूर है. यही नहीं किसी भी चुनौती का सामना करने और देश को विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए भी तत्पर दिखती है.

modi--2_041017070938.jpgमोदी की लहर ऐसे ही नहीं थी

गौर करें तो वर्ष 2014 में जब विशाल बहुमत के साथ मोदी के नेतृत्व में भाजपा केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई थी, तब देश राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हर प्रकार से अन्धकार में था. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी एनडीए के नतृत्व में सत्ता भ्रष्टाचार के दलदल में पूरी तरह से डूबी हुई थी. इसके कारण देश का आर्थिक ढांचा चरमरा रहा था. यह सब देखकर समाज में घनघोर निराशा का माहौल था.

ऐसे समय में देश के सामने गुजरात के विकास मॉडल की उजली तस्वीर लेकर नरेंद्र मोदी आए. भयानक विनाशकारी भूकंप की त्रासदी से जूझ रहे गुजरात को उन्होंने अपने नेतृत्व से देश के तीव्रतम विकास दर वाले राज्यों की कतार में शीर्ष पर पहुंचा दिया था. नरेंद्र मोदी के इसी गुजरात मॉडल में निराशा से जूझ रहे देश को आशा की उजली किरण दिखाई दी. वहीं विरोधियों द्वारा जिस तरह से चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान मोदी के विरुद्ध मोर्चाबंदी की गयी और अनर्गल आरोप लगाए गए, उसने मोदी के प्रति आम लोगों के विश्वास और लगाव को और भी बढ़ाया. नतीजा, जनता ने लोकसभा में भाजपा को बम्पर जीत दिलाई. और इस तरह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की पहली पूर्ण बहुमत वाली गैरकांग्रेसी सरकार ने आकार लिया.

मई में इस सरकार के तीन साल पूरे होंगे. अगर गौर करें तो इन तीन वर्षों में नरेंद्र मोदी की सरकार ने अगर सबसे बड़ा कोई काम किया है, तो वो है लोगों के मन में तंत्र के प्रति विश्वास को फिर से बहाल करना. मोदी सरकार के प्रति जनता के इस विश्वास बहाली के पीछे कई कारण हैं.

सबसे पहली चीज कि नरेंद्र मोदी सरकार के अबतक के शासनकाल में सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है. दूसरी बात कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम से लेकर अन्य विविध मंचों के जरिये जनता से लगातार जुड़े हैं. ये वो बातें हैं जो और किसी के लिए भले ही महत्व नहीं रखती हो, लेकिन जनता इससे प्रधानमंत्री को खुद से जुड़ा हुआ महसूस करती है.

अगर कार्यों की बात करें तो सरकार द्वारा हर वर्ग और हर क्षेत्र के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं और सोची-समझी रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है. जनधन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, फसल बीमा योजना, फसल सिंचाई योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, पहल योजना आदि लोक-कल्याण और राष्ट्र के विकास को गति देने वाली तमाम योजनाएं सरकार ने शुरु की है. दरअसल मोदी सरकार हर योजना और निर्णय के पीछे एक पूरी सोची-समझी रणनीति के तहत काम कर रही है.

modi_041017071027.jpgहर-हर मोदी, घर-घर भी मोदी ही हैं

इसको समझने के लिए इस उदाहरण पर नज़र डालें. मोदी ने जनधन योजना के तहत बैंकों में लोगों के आसानी से निशुल्क खाते खुलवाए. इस योजना को विपक्ष और बुद्धिजीवियों ने लोगों को सिर्फ बैंकों से जोड़ने तक की कवायद समझा. मगर जब सरकार ने सभी बैंक खातों को आधार से जोड़ दिया. और उसी के जरिये गैस सब्सिडी और फिर मनरेगा आदि के पैसे सीधे लोगों के खाते में भेजने का काम शुरू किया तब बुद्धिजीवियों को इस योजना का मतलब कुछ-कुछ समझ में आया.

लेकिन, इसका असली मतलब तो तब पता चला जब पिछले साल नवम्बर में मोदी सरकार ने काले धन पर रोकथाम के लिए पांच सौ और एक हजार के नोटों को अवैध घोषित कर दिया. फिर पूरा देश अपने पुराने नोट लेकर बैंक में जमा करने निकल पड़ा. इस मौके पर इन जनधन खातों ने कई प्रकार से बड़ी भूमिका निभाई. इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी के दिमाग में तीन-चार साल आगे तक के कामों की पूरी रूप-रेखा बनी पड़ी है. उनका हर निर्णय दूरगामी प्रभावों को नज़र में रखकर लिया जाता है.

सरकार के इन क़दमों का सकारात्मक प्रभाव भी देखा जा सकता है. देश की अर्थव्यवस्था अभी अच्छी गति से आगे बढ़ रही है और हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की बेरोजगारी दर में भी भारी कमी आई है. विदेश नीति की बात करें तो जो पाकिस्तान कभी भारत के लिए एक बड़ा यक्ष-प्रश्न था, उसके प्रति मोदी सरकार ने न केवल सैद्धांतिक वरन सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये व्यावहारिक रूप से भी अत्यंत कठोर रुख का परिचय दिया है. पाकिस्तान आज विश्व बिरादरी से लगभग अलग-थलग हो चुका है. उसके परम सहयोगी भी अब उससे कन्नी काटते नज़र आ रहे हैं. वहीं भारत के सम्बन्ध दुनिया के सभी देशों से लगातार बेहतर हुए हैं.

इस प्रकार स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने अपने लगभग तीन साल के इस कार्यकाल में देश को सभी क्षेत्रों में सुदृढ़ता प्रदान की है. इसके फलस्वरूप आम लोगों के मन से निराशा का अन्धकार समाप्त हुआ है. जनता का मोदी पर विश्वास और भी बढ़ा है. लोकसभा चुनाव के बाद हुए ज्यादातर राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली विजय इस बात को प्रमाणित करती है.

दरअसल नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति का रंग-ढंग बदलकर रख दिया है. देश को जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के खाँचे से बाहर लाकर विकास के मार्ग पर ले जाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है. वे जब भी बात करते हैं, तो विकास और उसके नवीन आयामों पर ही उनका बल होता है. यूपी चुनाव में भाजपा की महाविजय में इस बात की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

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लेखक

पीयूष द्विवेदी पीयूष द्विवेदी @piyush.dwiwedi

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं

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