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Updated: 26 मार्च, 2017 12:48 PM
गोपी मनियार
गोपी मनियार
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उत्तर प्रदेश में भाजपा को भारी बहुमत के साथ मिली जीत के बाद जिस तरह यहां के सीएम योगी आदित्यनाथ एक्शन में दिख रहे हैं, उन्होंने मानो यूपी ही नहीं बल्कि देश के दूसरे राजनेताओं में भी एक हड़कंप पैदा कर कर दिया है. दरअसल योगी का ये रूप लोगों ने पहली बार देखा है. लेकिन मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का योगी रूप देखा है. मोदी के योगी रूप पर आप सोचेंगे ये कैसे? दरअसल इसके लिये हम बात करेंगे 2002 की.

ये उस वक्त की बात है जब प्रधानमंत्री मोदी गुजरात में चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए थे. 2002 के गुजरात दंगों ने हिन्दुत्व का माहौल पैदा कर दिया था. जिसमें कोई नरेन्द्र मोदी को कातिल बता रहा था तो कोई नरेन्द्र मोदी को हिन्दू नेता बता रहा था. लेकिन 2002 में नरेन्द्र मोदी ने भारी बहुमत के साथ 182 में से 128 सीटों पाईं और गुजरात विधानसभा चुनाव जीता. और यहीं से शुरु हुआ विकासपुरुष नरेन्द्र मोदी का सफर.

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चुनाव जीतने के साथ ही नरेन्द्र मोदी पर जहां कम्युनल होने के आरोप लगते रहते थे, वहीं वो चुप रहे और अपने विरोधियों को इसका जवाब गुजरात में विकास के साथ दिया. योगी पर भी जहां हिन्दूवादी होने का आरोप है वहीं योगी ने अपने विरोधियों को इसका जवाब स्वच्छता और बूचड़खाने पर पाबंदी लगाकर दिया है. लोग खुलकर तो नहीं बोल रहे लेकिन दबी जबान में योगी की तारीफ जरुर कर रहे हैं.

वहीं मोदी ने न सिर्फ गुजरात के लोगों के विकास के लिये काम किया, बल्कि अपनी पार्टी के अंदरुनी लोगों के लिये कड़वे फैसले भी लिये जो उन्हीं की पार्टी के लोगो को पंसद नहीं आए. सबसे पहले तो मोदी ने अपने मिनिस्टरों की लिस्ट छोटी कर दी. पहले जहां 20 से 25 मिनिस्टर सरकार में हुआ करते थे वहीं मोदी ने इसे 10 से 15 में ही समेट कर रख दिया, इतना ही नहीं जातिवादी मिनिस्ट्री को भी मोदी ने खत्म कर दिया क्योंकि राजनीति में जिस जाती के वोटर ज्यादा रहते हैं उस जाति के नेता को मिनिस्ट्री दी जाती है, इसपर भी मोदी ने रोक लगा दी.

नरेन्द्र मोदी को मालूम था कि अगर गुजरात को विकास के रास्ते ले जाना है तो शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी. नरेन्द्र मोदी ने इसकी शुरुआत की और सचिवालय में विधायक की सिफारिश लेकर आने वाले लोगों के लिये रोक लगा दी गई.

साथ ही विधायक जिस पुलिस अधिकारी या सरकारी कर्मचारी की पोस्टिंग के लिये सिफारिशें लेकर आते थे, उसे बंद करवा दिया गया.

वहीं बोर्ड और कोर्पोरेशन जो कि सरकार की मलाईदार पोस्ट कहा जाता है, वहां पर खुद की पार्टी के राजनेता को नहीं बल्कि आईएएस जैसे अधिकारी को उसका एम.डी और चेयरपर्सन बनाना शुरु कर दिया. जिसने गुजरात को वाईब्रेंट गुजरात बनाने में काफी मदद की.

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वहीं 2002 के दंगो के बाद जो बड़े उद्योगपति गुजरात में इन्वेस्टमेंट करने से इन्कार करते थे, मोदी ने वाईब्रेंट गुजरात की शुरुआत कर गुजरात में इन्वेस्टमेंट लाने, नई इन्डस्ट्रीज के लिये अनुकूल माहौल बनाने और वन विन्डो अप्रूवल के जरीये विकास की शुरुआत की. जिसमें रतन टाटा का गुजरात में टाटा नेनो प्लान्ट लगाना नरेन्द्र मोदी की सबसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. नरेन्द्र मोदी का वाईब्रेंट गुजरात का कॉन्सेप्ट इतना कामयाब हुआ कि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इन्वेस्टमेंट को आर्कषित करने के लिये इसी तर्ज पर इंडस्ट्रियल समिट कि शुरुआत की.

दंगो के दाग के साथ शुरु हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक जीवन में तब परिवर्तन आया जब सुप्रीम कोर्ट से उन्हें दंगो के लिये क्लीन चिट मिली और 17 सितम्बर 2010 को उन्होंने अपने जन्मदिन के दिन मां हीरा बा के आर्शीवाद के साथ सदभावना उपवास शुरु किया. मोदी ने वाईब्रेंट गुजरात के साथ साथ नारा दिया सौनो साथ सौनो विकास, यानी सबका साथ सबका विकास, और यहीं से न सिर्फ नरेन्द्र मोदी ने मुसलमानों को अपने साथ जोड़ दिया बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की.

योगी को मुख्यमंत्री बने अभी एक हफ्ता ही हुआ है लेकिन चाय बेचने वाले से लेकर सब्जी बेचने वाले तक, हर वो छोटा आदमी योगी के काम करने के तरीके से खुश है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ देश को बदलते हुए देख रहा है. क्योंकि योगी और मोदी दोनों में समानता की बात की जाए तो, दोनों काम में यकीन करते हैं और बिना बोले अपने काम से ही विरोधियों को जवाब देने में ही मानते हैं.

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लेखक

गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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