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Updated: 01 जुलाई, 2017 01:49 PM
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GST लांच समारोह के बहिष्कार के बाद विपक्ष और ज्यादा बिखरा नजर आ रहा है. राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन कर जेडीयू ने तो अकेले झटका दिया था - अब तो कई और दलों ने भी नीतीश कुमार का ही रास्ता अख्तियार कर लिया है.

GST को लेकर भी लगता है कांग्रेस से वैसी ही चूक हुई लगती है जैसी राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार का नाम घोषित करने में देर के चलते हुई थी.

फिर देर कर दी

GST लांच समारोह के बहिष्कार को लेकर जब कांग्रेस नेताओं ने विपक्षी साथियों से संपर्क किया तो हर किसी का जवाब तकरीबन एक जैसा ही रहा - ‘अब तो फैसला हो गया है. आपने संपर्क करने में बहुत देर कर दी.’

जेडीयू के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका एनसीपी से मिला है. एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ साथ प्रफुल्ल पटेल और तारिक अनवर सभी ने संसद के केंद्रीय कक्ष में हुए कार्यक्रम में हिस्सा लिया. जेडीयू का तो कांग्रेस के साथ सिर्फ बिहार में महागठबंधन है, एनसीपी तो यूपीए का प्रमुख सहयोगी दल रहा है. एनसीपी नेता तारिक अनवर का कहना था, ‘हम एक हद तक कांग्रेस से सहमत हैं. जब इसे संसद और राज्य की विधानसभाओं में पेश किया गया तो हमने इसका समर्थन किया. इसलिए एनसीपी ने आधी रात को होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया.’

sonia gandhi luncheonसाथ जो फिर बिखर गया...

एनसीपी के साथ साथ समाजवादी पार्टी और जेडीएस के नेताओं ने भी समारोह में पूरे मन से हिस्सा लिया. जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा तो मंच पर ही मौजूद थे. मंच के लिए तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी न्योता था लेकिन कांग्रेस के बहिष्कार के फैसले के कारण वो नहीं पहुंचे.

समाजवादी पार्टी के रुख में भी एनसीपी जैसा रवैया दिखा. समारोह में शामिल सीनियर नेता राम गोपाल यादव का सवाल था, "जब हमने संसद में इसका समर्थन किया है, फिर हम जीएसटी लॉन्च कार्यक्रम से दूरी कैसे बना सकते हैं?"

समाजवादी पार्टी के सपोर्ट में भी दो खास बातें देखने को मिल रही हैं. मुलायम सिंह यादव कोविंद की उम्मीदवारी को लेकर पहले ही समर्थन जता चुके हैं. जीएसटी में रामगोपाल यादव शामिल हुए जो अखिलेश कैंप के हैं. ये घटना कांग्रेस के लिए चिंता की बात हो सकती है.

वैसे जीएसटी लांच समारोह का बहिष्कार कांग्रेस की मजबूरी रही. कांग्रेस को किसी भी सूरत में ये मंजूर नहीं था कि सारा क्रेडिट मोदी सरकार लूटे और उसके नेता महफिल में सिर्फ ताली बजाते रहें. इकनॉमिक टाइम्स को दिये इंटरव्यू में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा भी कि उनका विरोध जीएसटी नहीं, जश्न के तरीके को लेकर रहा.

2019 के हिसाब से क्या फर्क पड़ेगा

अगले आम चुनाव में विपक्षी एकता कांग्रेस की दूरदृष्टि पर निर्भर करती है. विपक्षी दलों को कांग्रेस का नेतृत्व अब तभी स्वीकार हो सकता है जब उसकी सियासी हैसियत बढ़े. नेतृत्व से मतलब राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी और हैसियत से आशय 2019 से पहले आने वाले चुनावों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन.

2019 से पहले, इस हिसाब से पांच राज्यों के चुनाव अति महत्वपूर्ण हैं. दो जो इस साल हो रहे हैं और तीन जो अगले साल होंगे. इस साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं. अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बारी है.

गुजरात में कांग्रेस की चुनावी रणनीति क्या रहेगी, तस्वीर अब तक साफ नहीं है. गुजरात कांग्रेस के सीनियर नेता शंकरसिंह वाघेला और पार्टी आलाकमान के बीच हुई मुलाकात का अब तक कोई नतीजा सामने नहीं आ सका है. हिमाचल में सत्ता विरोधी लहर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आरोपों में घिरे होने के कारण ज्यादा असरदार होती दिखती है. राजस्थान में सचिन पायलट और मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बूते कांग्रेस जो भी उम्मीद लगाये बैठी हो, छत्तीसगढ़ में हालत ठीक नहीं लग रही है.

कांग्रेस GST के आधी रात के समारोह को लेकर आपत्ति दर्ज कराती रही कि वो हो रहा है जो अब तक नहीं हुआ. कांग्रेस ये दलील बेदम साबित हुई अब तक ऐसा नहीं हुआ तो आगे क्यों नहीं हो सकता. कांग्रेस का ये कहना कि उसने भी तो आरटीआई कानून और ऐसे कई काम किये लेकिन उसने कभी ऐसा इवेंट नहीं आयोजित किया. अब किसी ने पहले नहीं किया तो ये भी तो जरूरी नहीं आगे कोई करे भी नहीं. पहले बजट भी तो 28 फरवरी को हुआ करता था, लेकिन वो भी तो अब एक फरवरी को पेश होने लगा है और वो भी सुबह ही सुबह. जीएसटी को लेकर बीजेपी ने कैसे यू टर्न लिया और अब उसी का जश्न मना रही है कांग्रेस ने ये कभी समझाने की कोशिश नहीं की और इसी वजह से उसे इस मोर्चे पर भी शिकस्त झेलनी पड़ी.

narendra modi, pranab mukherjeeराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने साथ बजायी घंटी...

कांग्रेस ने एक मजबूत आपत्ति जरूर दर्ज करायी थी - भला राष्ट्रपति की मौजूदगी में प्रधानमंत्री GST को लांच कैसे कर सकते हैं? बीजेपी ने इसमें त्वरित सुधार का रास्ता अपनाया. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ घंटी बजा कर जीएसटी लांच किया - और राष्ट्रपति ने जीएसटी के लागू होने पर निजी तौर पर खुशी का इजहार किया.

कांग्रेस के सामने अगली चुनौती उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी उम्मीदवार के रूप में है. विपक्षी एकता के रूप में कांग्रेस के साथ अब सिर्फ तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, डीएमके, सीपीएम और सीपीआई ही साथ खड़े नजर आ रहे हैं. हालात को देखते हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी ये साथ बने रहना मुश्किल ही लग रहा है.

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