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Updated: 23 सितम्बर, 2017 07:15 PM
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लगता है टेररिस्तान करार दिये जाने से भी अब पाकिस्तानी हुक्मरानों को कोई खास फर्क नहीं पड़ता. कहीं सच में ऐसी बात तो नहीं कि अब वो बातों के भूत नहीं रहे. क्योंकि उन्हें तो सर्जिकल स्ट्राइक की भाषा भी अब समझ में नहीं आ रही. अव्वल तो वे सर्जिकल स्ट्राइक को मानने से भी इंकार कर देते हैं.

पाकिस्तान ने ताजा ताजा एंटी शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. अब इस बात से किसी को क्या शिकायत हो सकती है. मगर, जब वो ये बताता है कि उसने भारत के खिलाफ पुख्ता तैयारी की है तो क्या समझा जाये? मामला इतना ही रहता तो भी कोई बात नहीं, हाफिज सईद की तैयारियां किस और बढ़ रही हैं?

कोल्ड स्टार्ट के मुकाबले

पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी का दावा है कि उनके मुल्क ने कम दूरी की मारक क्षमता वाले कई हथियार तैयार किया है. ये हथियार खासतौर पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए बनाये गये हैं.

hafiz saeedहाफिज के खतरनाक मंसूबे...

अब्बासी का कहना है कि शॉर्ट रेंज वेपन पाकिस्तान ने भारत के कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन के मद्देनजर किया है. असल में कोल्ड स्टार्ट फौरन फौजी कार्रवाई की सामरिक रणनीति होती है. इसमें जंग होने की स्थिति में सभी सेनाएं मिल कर कम से कम वक्त में हमले को अंजाम देती हैं. इस रणनीति में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि दुश्मन के न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने से पहले ही उस पर धावा बोल दिया जाये.

शॉर्ट रेंज हथियारों के दावे के बीच पाकिस्तान की नौसेना ने एंटी-शिप मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया है. हवा से समुद्र में मार करने वाली इस मिसाइल का परीक्षण उत्तर अरब सागर में किया गया और इस दौरान पाक नौसेना प्रमुख मोहम्मद जकौल्ला भी मौजूद रहे.

मुश्किल ये नहीं कि पाकिस्तानी फौज ने क्या और किस हद तक तैयारी की है, अहम बात ये है कि उसके इरादे कितने खतरनाक हैं?

हाफिज सईद की तैयारी

पाक फौज और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इरादे कितने खतरनाक हैं, समझने के लिए हाफिज सईद का केस काफी है. ये हाफिज सईद ही है जिसे मुंबई हमले का जिम्मेदार माना जाता है. वही हाफिज सईद जिससे कनेक्शन को लेकर शब्बीर शाह के खिलाफ चार्जशीट फाइल हुई है, टेरर फंडिग केस में.

हाफिज सईद को बचाने के लिए क्या क्या उपाय किये जा रहे हैं उस पर गौर करना जरूरी है. अंतर्राष्ट्रीय दबाव में हाफिज सईद को नजरबंद जरूर करना पड़ा है लेकिन पाकिस्तान में उसे पूरी छूट हासिल है. अब तो वो 2018 में आम चुनाव लड़ने की भी तैयारी कर रहा है. लाहौर उपचुनाव में उसे चुनाव आयोग से झटका जरूर मिला लेकिन कोई हैरानी नहीं होनी चाहिये कि उसका भी रास्ता निकाल लिया जाये.

चुनाव आयोग की सख्ती के चलते बस इतना ही हो पाया कि हाफिज सईद समर्थित उम्मीदवार को उसकी पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग का बैनर इस्तेमाल करने से रोक दिया गया. साथ ही, उसे चुनाव में हाफिज सईद की तस्वीर के इस्तेमाल पर भी पाबंदी थी.

लाहौर उपचुनाव में हाफिज सईद का उम्मीदवार शेख याकूब तीसरे स्थान पर रहा लेकिन आसिफ अली जरदारी के कैंडिडेट से ऊपर. ये शेख याकूब वही है जो अमेरिकी वित्त विभाग की ओर से 2012 में जारी प्रतिबंधित लोगों की सूची में शामिल किया गया था.

अब जरा शेख याकूब के इरादे भी जान लीजिए. मीडिया से बातचीत में याकूब कहता है - 'हम राजनीतिक मैदान में अपना पैर जमाने के लिए आ रहे हैं. लोग ऐसी पार्टी चाहते हैं, जो पाकिस्तान को भारत, अमेरिका और इजरायल जैसे दुश्मनों के खिलाफ मजबूत बनाये... साथ ही लोगों की बुनियादी समस्याओं का भी समाधान करे.'

भारत पाकिस्तान में सक्रिय नॉन स्टेट एक्टर्स का मामला अरसे से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार पूछा भी था कि पाकिस्तान में बात करें भी तो किससे करें? प्रधानमंत्री का इशारा भी उन्हीं सक्रिय नॉन स्टेट एक्टर्स की ओर ही रहा. अब उन्हीं नॉन स्टेट एक्टर्स को सियासी यूनिफॉर्म पहनाने की कोशिश हो रही है. समझा जा सकता है कि ये सब आईएसआई और पाक फौज के संरक्षण में हो रहा है.

पाकिस्तान में फौजी शासन को ही लोकतंत्र के लिए खतरा माना जाता रहा है. फर्ज कीजिए पाकिस्तान में ऐसा इंतजाम किया जाता है कि हाफिज सईद चुनाव लड़ता है और जीत भी जाता है. कल्पना कीजिए स्थिति कितनी विस्फोटक हो सकती है. पाक पीएम अब्बासी की दलील है कि जब पचास साल से न्यूक्लियर हथियार सुरक्षित हाथों में हैं तो आगे भी रहेंगे. क्या अब्बासी इस बात की भी गारंटी लेंगे कि हाफिज सईद भी उनकी बातों पर खरा उतरेगा? अरे परवेज मुशर्रफ ने तो सिर्फ करगिल दिया था, हाफिज के बारे में तो सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है.

जिस मुल्क में ऐसे खतरनाक खेल चल रहे हों वो टेररिस्तान कहे जाने से कितना डरेगा, एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल देगा.

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