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Updated: 30 मार्च, 2017 02:21 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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11 मार्च को देश भर के पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद पांचों राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुआ. जहां उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भारतीय जनता पार्टी के नए मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली तो वहीं 10 साल बाद पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन की वापसी हुई. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत, गोवा में मनोहर पर्रिकर और मणिपुर में बिरेन सिंह मुख्यमंत्री बने. नए मुख्यमंत्रियों ने सत्ता संभालते ही धड़ाधड़ फैसले लिए. हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पल पल के कामकाज की सूचना मीडिया लोगों तक पहुंचाती रही तो वहीं बाकी के मुख्यमंत्रियों के कामकाज की सूचना न के बराबर दी गयी.

ऐसा नहीं है कि बाकी मुख्यमंत्रियों ने बेहतर कदम नहीं उठाये हैं, अगर नयी सरकारों के अब तक के फैसलों पर नजर डालें तो एक बात स्पष्ट है कि सभी मुख्यमंत्री अपने राज्य को विकास के पथ पर लाने को प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं.

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एक नजर नयी सरकारों के कुछ महत्वपूर्ण फैसलों पर

भ्रष्टाचार पर सख्त सभी सरकारें

भारतीय राजनीति में इसे एक बेहतर शुरुआत ही कहा जा सकता है कि पांचों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना अपने टॉप एजेंडे में रखा. जहां उत्तरप्रदेश में योगी सरकार ने अपने सभी मंत्रियों और अधिकारियों को अपने संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा तो वहीं पंजाब में कैप्टन सरकार भ्रष्टाचार, ड्रग्स और माफ़िया के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती दिख रही है. साथ ही दोनों ही राज्य सरकारों ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों को 'लाल बत्ती संस्कृति' से भी तौबा करने को कहा है. पंजाब सरकार ने तो सरकारी खर्च पर सभी विधायकों, मंत्रियों और अधिकारियों के  विदेश दौरे पर कुछ अपवाद के साथ दो साल तक की रोक लगा दी है.

अगर बात करें उत्तराखंड की रावत सरकार की तो सत्ता संभालते ही सरकार ने लोकायुक्त बिल का संशोधित रूप सदन में पेश किया. इस बिल में मुख्यमंत्री को भी लोकायुक्त की जांच के दायरे में रखा गया है. वहीं मणिपुर में पहली बार सत्ता में आयी भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अनूठा प्रयोग करते हुए एक मोबाइल नंबर जारी किया है, जिसपर कोई भी भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी अथवा फोटो, वीडियो भेज सकता है. भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार ने एक भ्रष्टाचार निरोधी सेल का भी गठन किया है, साथ ही सभी विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के लिए भर्ती में साक्षात्कार को भी समाप्त करने का फैसला किया है.

अवैध उपक्रमों पर सख्ती

उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर कारवाई की जा रही तो पंजाब में स्पेशल टास्क फोर्स बना कर  ड्रग्स के ज़खीरे को पूरी तरह से खत्म करने का काम चल रहा है. गोवा में मनोहर पर्रिकर राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में चल रही शराब दुकान बंद करने की मुहीम में हैं, तो वहीं उत्तराखंड सरकार अवैध खनन के खिलाफ राज्य के विभिन्न इलाकों में छापे की कार्रवाई करती नजर आ रही है.

हालांकि अभी इन राज्य सरकारों ने 10 दिन का समय ही गुजारा है मगर एक चीज जो सभी राज्यों में देखने को मिली वो है काम करने को लेकर गंभीरता. सभी नए मुख्यमंत्री अपनी राज्य के विकास के लिए कुछ कड़े और सख्त फैसले लेते दिखे, तो वहीं सभी मुख्यमंत्री चुनावों के दौरान किये अपने वादों को पूरा करने को लेकर भी संजीदा दिखाई दे रहे हैं, यह भारतीय राजनीति के लिए शुभ संकेत कहे जा सकते हैं. अभी तक ज्यादातर मामलों में यही देखने को मिलता था कि सरकार गठन के बाद शुरूआती दिनों में सरकार के मंत्री अपने विभाग बंटवारे में ही व्यस्त रहते थे, मगर अब परस्थितियां बदल रही हैं और शायद इस बात का अहसास सभी को हो गया है कि अब सत्ता में बने रहने के लिए कागजों के अलावा जमीन पर भी काम करके दिखाने होंगे वरना जनता सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने में भी गुरेज नहीं करेगी.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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