New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 08 जनवरी, 2017 11:45 AM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
  @arvind.mishra.505523
  • Total Shares

बिहार में मोहम्मद शहाबुद्दीन एक ऐसा नाम है जिसे शायद ही कोई हो जो ना जानता हो. एक बार फिर से पूर्व RJD सांसद और बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन चर्चा में हैं. आखिर हों भी क्यों नहीं? ये तो उनकी फिदरत में है. इस बार बिहार में सिवान का आतंक के नाम से मशहूर शहाबुद्दीन भले ही सिवान जेल में बंद हों, मगर जेल के अंदर भी किस तरीके से उसकी तूती बोलती है इसकी एक तस्वीर सामने आई है. इन दिनों नए लुक में उसकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हुई है.

चर्चा नए लुक के एक फोटो को लेकर है. मो शहाबुद्दीन अक्सर अपनी घनी मूंछ और घने बालों के साथ दिखते थे लेकिन इस बार फोटो में शहाबुद्दीन ने अपनी मूंछ और बाल कटवा लिए हैं. सूचना मिलने के बाद सीवान जेल प्रशासन के निर्देश पर जेल में छापेमारी शुरू हुई तो पुलिस को जांच में 4 मोबाइल और इतने ही सिम कार्ड मिले हैं.

shahabuddin_650_010817114020.jpg
 
 मोहम्मद शहाबुद्दीन ने जेल के अंदर सेल्फी ली और वो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है

फिलहाल शहाबुद्दीन दो भाईयों की हत्या के आरोप में इन दिनों जेल में बंद हैं. 10 सितंबर 2016 को जेल से रिहा भी हुए थे लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 20 दिनों के बाद ही उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा था.

ये भी पढ़ें- क्या RSS गुजरात में नरेंद्र मोदी जैसा दूसरा नेता दे पाएगी?

बिहार सरकार के मंत्री जेल में मिलने गए थे...

अभी कुछ ही महीने हुए हैं जब बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर राजद एक विधायक के साथ शहाबुद्दीन से मिलने सीवान जेल पहुंचे थे. इस दौरान सजे-धजे चेम्बर में मेहमानों के सामने नाश्ते की प्लेट भी देखने को मिली थी. तस्वीरें सामने आने के बाद सियासत भी गर्म हो उठी थी. जेल में जो नज़ारे देखने को मिले थे वो बताने के लिए काफी थे कि शहाबुद्दीन के जेल में रहते हुए भी क्या जलवे होते हैं.

जेल से चुनाव लड़ने के अलावा अस्पताल में भी लगाए थे दरबार...

साल 1999 की बात है जब एक CPI (ML) कार्यकर्ता के अपहरण और संदिग्ध हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को लोकसभा 2004 के चुनाव से आठ महीने पहले गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन चुनाव आते ही शहाबुद्दीन ने मेडिकल आधार पर अस्पताल में शिफ्ट होने का इंतजाम कर दिए थे. अस्पताल का एक पूरा फ्लोर उनके लिए रखा गया था जहां वह लोगों से मिलते थे और बैठकें करते थे. चुनाव तैयारी की समीक्षा करते थे. वहीं से फोन पर वह अधिकारियों, नेताओं को कहकर लोगों के काम भी कराते थे. यही नहीं, अस्पताल के उस फ्लोर पर उनकी सुरक्षा के भारी इंतजाम भी किए गए थे.

तब हालात ये हो चुके थे कि पटना हाई कोर्ट ने ठीक चुनाव से कुछ दिन पहले सरकार को शहाबुद्दीन के मामले में सख्त निर्देश देते हुए शहाबुद्दीन को वापस जेल में भेजने के लिए कहा था. सरकार ने मजबूरी में शहाबुद्दीन को जेल वापस तो भेज दिया था लेकिन चुनाव में 500 से ज्यादा बूथ लूट लिए गए थे. आरोप था कि यह काम शहाबुद्दीन के इशारे पर किया गया था. लेकिन फिर से चुनाव होने पर भी शहाबुद्दीन सीवान से लोकसभा सीट जीत गए थे और चुनाव के बाद कई JDU कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी.

shahabuddin_651_010817114045.jpg
 शहाबुद्दीन के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं

पुलिस अफसर को भी थप्पड़ मारा था...

जब 2001 में एक आरजेडी नेता मनोज कुमार को पुलिस गिरफ्तार करने गई थी तब शहाबुद्दीन ने डिप्टी एसपी संजीव कुमार का कॉलर पकड़ कर थप्पड़ जड़ दिया था. तब इस घटना ने पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया था. इसके बाद पुलिस ने तुरंत STF व यूपी पुलिस के साथ मिलकर शहाबुद्दीन को उनके गांव में ही घेर लिया था. दोनों तरफ से जमकर गोलीबारी हुई थी जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई थी. इसके बाद शहाबुद्दीन व उनके सहयोगी घर से फरार हो गए थे.  

ये भी पढ़ें- क्या है मोदी के नया गेम प्लान?

डीजीपी को लेना पड़ा था VRS...

एक बार फिर से शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसने की शुरुआत 2003 में तब हुई थी जब डीपी ओझा डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस बने थे. उन्होंने शहाबुद्दीन के खिलाफ सबूत इकट्ठे किए और कई पुराने मामले फिर से खोल दिए तथा जिन मामलों की जांच का जिम्मा CID को सौंपा गया था, उनकी भी समीक्षा कराई गई थी. माले कार्यकर्ता मुन्ना चौधरी के अपहरण व हत्या के मामले में शहाबुद्दीन पर वारंट जारी हुआ था. अंतत: शहाबुद्दीन को अदालत में आत्मसमर्पण करना पड़ा था लेकिन मामला आगे बढ़ता की डीपी ओझा चलता कर दिए गए और सत्ता से टकराव के कारण उन्हें वीआरएस लेना पड़ा था.

विदेशी हथियारों का जखीरा भी उनके घर से बरामद हुए थे...

जब 2005 में शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर में छापेमारी की गई थी तो वहां से भारी मात्रा में आग्नेयास्त्र, अवैध हथियार, चोरी की गाड़ियां, विदेशी मुद्रा आदि बरामद किए गए थे. उस समय सीवान के एसपी रत्न संजय थे और वो ही इनके खिलाफ कार्यवाई शुरू किए थे. तब बिहार में राष्ट्रपति शासन था.

फिलहाल शहाबुद्दीन सिवान जेल में पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड केस में बन्द है लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर जेल के अंदर बंद शहाबुद्दीन के पास मोबाइल फोन आया कहां से और इसे सोशल मीडिया पर अपलोड कहाँ और कैसे किया गया?

लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय