New

होम -> सियासत

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 07 जनवरी, 2017 09:01 AM
राकेश चंद्र
राकेश चंद्र
  @rakesh.dandriyal.3
  • Total Shares

गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाशोत्सव में जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी और नितीश कुमार ने शराबबंदी को लेकर एक दूसरे की तारीफों की पुल बांध रहे थे, उससे बिहार में साँझा सरकार के भविष्य पर यक्ष प्रश्न लगने शुरू हो गए हैं. बिहार की सांझी सरकार के दूसरे पार्टनर लालू एवं उनके दोनों पुत्र उप मुख्यमंत्री तेजस्वी को मंच पर स्थान न दिया जाना भी आशंकोओं को हवा दे रहा है. यह पहला अवसर नहीं था जब नितीश या मोदी ने एक दूसरे की तारीफ की हो, नोटबंदी पर भी नितीश ने मोदी की तारीफ की थी. इसके इतर कई बड़े लीडर नितीश कुमार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा चुके हैं. "छानिएगा जलेबी और निकलेगा पकौड़ी" तो क्या लालू का यह बयान निकट भविष्य में यथार्थ रूप लेगा?

modi_650.1_010717085308.jpg
 मोदी और नितीश की जुगलबंदी से गठबंधन की आशंका तेज हो गई है

तो क्या यह सुगबुगाह जनता दल यूनाइटेड एवं बीजेपी की बीच आने वाले समय की जुगलबंदी की तैयारी तो नहीं है? और अगर है तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक सोची समझी नीति है. इस नीति में प्रधानमंत्री बिहार के अलावा उत्तरप्रदेश से अखिलेश एवं दक्षिण से शशिकला नटराजन को भी शामिल करना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें- दोबारा सत्ता पाने के लिए अखिलेश का 'मोदी फॉर्मूला' प्रश्न उठेगा ऐसा क्यों? दरअसल नितीश एवं अखिलेश की छवि को विकास का पर्याय माना जाता है. मोदी तो विकास की कट्टर समर्थक है ही. वहीं जयललिता के बाद पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने वाली शशिकला नटराजन ने भी केंद्र की सरकार से संबंधों को लेकर ठीक ठाक संकेत दिए हैं, क्योंकि ना जाने कब तोता पिंजरे से निकल जाए. वैसे मोदी उन्हें अपना आशीर्वाद दे भी चुके हैं.  मुख्यमंत्री ओ पन्नीर सेल्वम (ओपीएस) भी  अपने लिए किसी बड़े राजनीतिक वटवृक्ष की छाया ढूंढ रहे हैं. और मोदी उनकी मंजिल हो सकते हैं.

modi_650_010717085342.jpg
 मोदी ने अगर तीनों राज्य में गठबंधन कर लिया तो 2019 के सपने को कोई नहीं रोक सकता

ये भी पढ़ें- भारतीय राजनीति में ‘मोदी’ होने के मायने

दरअसल मोदी एक तीर से दो निशाने वाली तरकीब को अमलीजामा पहनाना चाहते हैं. पहला राज्य सभा में बहुमत, दूसरा तीनों राज्यों में विकास की भागेदारी भी सुनश्चित हो जाएगी. बदले में ये तीनों राज्य सरकार के लिए राज्य सभा में कार्य करेंगे और सरकार राज्य सभा में बिलों के पास होने वाली विपक्ष की किचकिच से कुछ हद तक मुक्त हो जाएगी. अगर ऐसा हो जाता है तो यकीन कीजिए अगले दो सालो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सपनों को पूर्ण करने में सफल होंगे और उनका 2019 का सपना कामयाब होने मे उन्हें कोई नहीं रोक पाएगा. अगर मोदी इन तीन राज्यों का एका करने में सफल रहते हैं तो राज्य सभा में उनके पक्ष में 42 मत पड़ने की गारंटी होगी जो की निकट भविष्य में और बढ़ सकती है.

लेखक

राकेश चंद्र राकेश चंद्र @rakesh.dandriyal.3

लेखक आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय