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Updated: 13 दिसम्बर, 2016 12:04 PM
गोपी मनियार
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गुजरात कि राजनीति से देश कि राजनीति में जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले चार महीने में पांच बार गुजरात का दौरा किया है. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपनी होमपिच पर मॉनीटरिंग बढ रही है, तो वहीं दूसरी और लगातार गुजरात बीजेपी में हो रही अंदरुनी गुटबाजी और राजनीति का नीचा होता ग्राफ भी इन दिनों बीजेपी आला कमान के लिये चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में बीजेपी का ग्राफ और नीचे गिरे उसे पहले राजनीतिक विशेषज्ञ जल्द चुनाव के आसार देख रहे हैं.

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 पिछले 4 महीनों में गुजरात के 5 दौरे

मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात की कमान आनंदीबेन पटेल के सौंपी गई थी, हालांकि आनंदीबेन के ढाई साल के मुख्यमंत्री काल में नरेन्द्र मोदी एक भी बार गुजरात नहीं आए थे. लेकिन मुख्यमंत्री विजय रुपानी के होने के बाद चार महीने में प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात के बढ़ते दौरों को राजनीतिक जानकार काफी सूचक मान रहे हैं. जानकार ये भी कहते हैं कि नरेन्द्रभाई मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को फ्री हैण्ड देने के पक्ष में थे, हालांकी आनंदीबेन पटेल इसका फायदा पार्टी के पक्ष में नहीं ले पाईं.

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वहीं जानकार ये भी मानते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी के भरोसे पर नरेन्द्रभाई पार्टी को छोडना नहीं चाहते हैं. गुजरात में अभी चुनाव में एक साल से भी कम वक्त रह गया है, ऐसे में पिछले ढाई साल से पाटीदार आंदोलन, दलित आंदोलन और ओबीसी के नशामुक्ति अभियान ने बीजेपी की छवि को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया है. अब ऐसे में प्रधानमंत्री के दौरे गुजरात में अहम माने जा रहे हैं.

सबसे पहले वो सौराष्ट्र के जामनगर में आए तो, मध्य गुजरात के वडोदरा और दक्षिण गुजरात के नवसारी में भी उनका कार्यक्रम हुआ, जहां भाजपा की छवि को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा था. उत्तर गुजरात में भी प्रधानमंत्री ने हाल ही में दौरा किया था, जिसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री ने अपने आखरीदौरे में कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहा था कि ‘गुजरात की राजनीति में जो भी हलचल होगी उसका असर पूरे देश पर होता है. जैसे कि जुनागढ़ और गांधीनगर नगरपालिका हम हारे थे उसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी, इसलिये आप सब से मेरा कहना है कि आने वाले छोटे से छोटे चुनावों में भी हमारे कार्यकर्ता जी तोड़ मेहनत करें’.

जानकार मानते हैं कि वैसे तो देश में पहले यूपी और पंजाब में चुनाव होने हैं, अगर यूपी और पंजाब में बीजेपी ज्यादा कुछ कर नहीं पाई तो उसका असर गुजरात चुनाव पर जरुर होगा. ऐसे में गुजरात भाजपा में नरेन्द्र मोदी के जाने के बाद ऐसा कोई प्रबल नेतृत्व भी नहीं है जो नरेन्द्र मोदी की जगह ले पाए या उनके आसपास भी पहुंच पाए. तो अपने होम ग्राउन्ड को प्रधानमंत्री किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचने देंगे, ऐसे में केन्द्र के साथ-साथ गुजरात की कमान भी खुद मोदी ही संभालेंगे. 

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माना जा रहा है कि आनंदीबेन को हटाकर विजय रुपानी को जिस तरह से मुख्यमंत्री बनाया गया है, उसे अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के बीच गुजरात को लेकर तकरार बढी है. प्रधानमंत्री मोदी पांच बार गुजरात आए लेकिन एक भी बार अमित शाह उनके साथ नहीं थे. ऐसे में नरेन्द्र मोदी विजय रुपानी के मुख्यमंत्री बनने से खुश नहीं हैं ये बात भी उभरकर आ रही है.

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गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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