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Updated: 26 जुलाई, 2016 12:59 PM
शुभम गुप्ता
शुभम गुप्ता
  @shubham.gupta.5667
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कोई भी सरकार हो, उसकी योजना सफल हो ना हो, मगर उसका प्रचार कुछ इस तरह होता है कि मानो वो विश्व की सफल योजना बन गई हो. अभी हाल ही में आप टीवी पर प्रधानमंत्री का एक विज्ञापन देखते होंगे. विज्ञापन में प्रधानमंत्री मोदी सांसद आदर्श ग्राम योजना का प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं.

प्रधानमंत्री कहते हैं कि अगर एक-एक सांसद भी देश का गांव गोद ले लें तो कितने गांवों की दशा ही बदल जाएगी. मगर प्रधानमंत्री की इस पहल का उनके सांसदों पर शायद कोई खास असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. मोदी के करीब 18 मंत्रियों ने अभी तक सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत कोई गांव गोद नहीं लिया है.

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प्रधानमंत्री ने इस योजना की शुरुआत पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर की थी. योजना अब दूसरे चरण में प्रवेश कर गई है और गांव के चयन के लिए अंतिम तारिख इस साल 31 जनवरी थी. अगर आप इस तरह का डाटा देखना चाहते हैं तो कुछ खास नहीं बस सांसद आदर्श ग्राम योजना पर जाइये और खुद ही देख लिजिये की कौन-कौन से सांसदों ने अब तक गांव गोद नहीं लिया है.

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 प्रधानमंत्री इस योजना में अपने सांसदों को ही नहीं मना पाए

अब आप खुद ही देखिये की 463 लोकसभा सांसदों ने अभी तक गांव को गोद ही नहीं लिया है. कुछ ऐसी ही हालत राज्यसभा सांसदो की भी है.

अब जब प्रधानमंत्री के सांसद ही उनकी बात नहीं मानते, तो विपक्ष क्या खाक मानेगा. प्रधानमंत्री ने देशवासियों से एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सीडी छोड़ने की अपील की और देखिये देश के करीब 1 करोड़ लोगों ने इस छोड़ दिया. प्रधानमंत्री ने देशवासियों से स्वच्छता अभियान के लिये अपील की और इसका भी देश ने खूब साथ दिया. बच्चे-बच्चे में स्वच्छता को लेकर जागरुकता दिखाई दी.

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मगर प्रधानमंत्री इस योजना में अपने सांसदों को ही नहीं मना पाए. हां इस योजना के प्रचार-प्रसार में किसी तरह की कमी नहीं हुई है. ज़ोरो शोरों से इसका प्रचार टीवी चैनलों पर हो रहा है. अच्छा खासा पैसा भी इस पर खर्च हो रहा है. मगर सांसदो पर इसका कोई असर नहीं है. हो सकता है कि हमारे देश के सांसद टीवी ना देखते हों. अब होने को तो कुछ भी हो सकता है. शायद देश की ही सेवा में इतने व्यस्त होंगे की एक गांव की सेवा करने का ही समय ना हो.  

लेखक

शुभम गुप्ता शुभम गुप्ता @shubham.gupta.5667

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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