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Updated: 09 सितम्बर, 2016 07:00 PM
सुजीत कुमार झा
सुजीत कुमार झा
  @suj.jha
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आरजेडी के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन जेल से बाहर हो रहें है. 11 वर्षों बाद उनकी रिहाई जमानत पर हो रही है. एक गवाह की हत्या के मामले में पटना हाईकोर्ट ने मो. शहाबुद्दीन को जमानत दे दी है. हाईकोर्ट के इस फैसले से उनके समर्थकों में भारी उत्साह है. भागलपुर से सीवान तक उनके रिहाई का जश्न मनाया जा रहा है.

भागलपुर इसलिए क्योंकि वही के सेन्ट्रल जेल में शहाबुद्दीन कुछ महीनों से बंद हैं. सीवान में उनके स्वागत की तैयारी जोरो से चल रही हैं. तो भागलपुर में उनके समर्थकों का जमावड़ा शुरू हो गया है.

बताया जाता है कि रिहाई के बाद शहाबुद्दीन की सैकड़ों काफिले के साथ सीवान पहुंचने की तैयारी है. सीवान में शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल है तो दूसरी तरफ ज्यादातर लोग खौफ में हैं. शहाबुद्दीन का सीवान में आतंक जगजाहिर है. पिछले 11 वर्षों से जिस नीतीश कुमार की सरकार ने शहाबुद्दीन को जेल के सलाखों में पीछे डाला था. उन्हीं के कार्यकाल में वो जेल से बाहर भी आ रहें हैं. लेकिन तब के माहौल और अब के माहौल में काफी अंतर आ चुका है.

न्यायलय ने जमानत दी है. इस पर तो कोई टिप्पणी नहीं कर सकता है लेकिन विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ये आरोप जरूर लगाते हैं कि सरकार ने शहाबुद्दीन के खिलाफ केस ढंग से नहीं लड़ा जिसकी वजह से उन्हें जमानत मिल गई. शहाबुद्दीन पर 39 हत्या और अपहरण केस थे जिसमें से 38 में पहले ही उन्हें जमानत मिल चुकी है. 39वां केस राजीव रौशन का था जो अपने दो सगे भाईयों की हत्या का चश्मद्दीद गवाह था.

2004 में तेजाब कांड से मशहूर इस कांड में शहाबुद्दीन के विरूद्ध आईपीसी 302 में आरोप का गठन हुआ था. उसी हत्याकांड का गवाह था राजीव रौशन जिसके सामने उसके दोनों भाईयों की हत्या कर तेजाब में डाला गया था.

राजीव रौशन भूमिगत था. जब सामने आया तो अदालत के सामने गवाही दी और शहाबुद्दीन को हत्या का आऱोपी बनाया गया था, जिसमे निचली अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है. हांलाकि गवाही देने के बाद राजीव रौशन भी ज्यादा दिन तक जिन्दा नही रहा और उसकी भी जून 2014 में गोली मार कर हत्या कर दी गई.

इस केस में भी शहाबुद्दीन आरोपी बने और उसी केस में जमानत मिलने के बाद वो जेल से बाहर आ रहे हैं. हांलाकि जिस मामले में शहाबुद्दीन को जमानत मिली है उस मामले में ही पटना हाईकोर्ट फरवरी में उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुका था.

सीवान के गौशाला रोड में रहने वाले व्यवसायी चंद्र बाबू के नवनिर्मित आवास पर 10 फीट के लिए विवाद हो गया. कई बार पंचायत बैठी पर बात नहीं बनी. उसी विवाद में व्यसायी के दो पुत्रों गिरीश राज और सतीश राज का दुकान से अपहरण कर हत्या कर दी गई. बड़े भाई राजीव रौशन का भी अपहरण हुआ लेकिन वो किसी तरह से बच गया और भूमिगत हो गया.

शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने से चंद्र बाबू के जख्म हरे हो गए. अपने तीन-तीन जवान बेटे खोने वाले चन्द्र बाबू को अब न्यायालय से कोई उम्मीद नही है. उनका कहना है कि न्याय व्यवस्था से उनका विश्वास उठ चुका है. उन्होंने मौजूदा सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि अब उन्हें अपने और अपने परिवार की चिन्ता सताने लगी है.

उनके पास इतना पैसा भी नही है कि वो सुप्रीम कोर्ट तक जायें. वैसे पर शहाबुद्दीन पर कई मामले हैं लेकिन बाकी मामलों पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है, जिससे वो जेल से बाहर आ रहे हैं. शहाबुद्दीन ने राजनैतिक करियर की शुरुआत 1990 में सीवान के जिरादेई से बतौर निर्दलिय चुनाव जीत कर की. ये वही जीरादेई है जहां देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म हुआ था. उस चुनाव में शहाबुद्दीन का निशान शेर था.

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इसके बाद बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार बनी तो शहाबुद्दीन लालू के समर्थन में आ खड़े हुए. 1995 में उन्हें लालू प्रसाद यादव ने जनता दल से विधानसभा का टिकट दिया फिर जीत शहाबुद्दीन की हुई. 1996 में सीवान से लोकसभा के लिए चुन लिए गए फिर 1998, 1999, और 2004 में आरजेडी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता.

2005 मे बिहार में नीतीश कुमार की सरकार आने पर शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसा गया. और उसी साल दिल्ली से उन्हें गिरफ्तार किया गया. शहाबुद्दीन को कड़ी निगरानी में सीवान जेल में रखा गया. जेल से ही वीडियों कॉफ्रेंसिंग के जरिए उनकी सुनावाई होती थी. सबकुछ ठीक था. शाहबुद्दीन को निचली अदालत ने इस बीच कई मामलों में सजा सुनाई.

इस बीच 2009 और 2014 में शहाबुद्दीन ने अपनी पत्नी को सीवान से लोकसभा का चुनाव लड़वाया लेकिन दोनों बार उनकी पत्नी चुनाव हार गईं. लेकिन 2013 में नीतीश कुमार के बीजेपी से अगल होने और उसके बाद लालू प्रसाद यादव के साथ गठजोड़ होने के बाद शहाबुद्दीन का फिर वहीं पुराना अंदाज शुरू हो गया.

जेल में लोगों से मिलना यहां तक कि नीतीश सरकार में आरजेडी के खेमे से मंत्री भी जेल में मिलने गए थे जिसका फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

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 नीतीश राज में शहाबुद्दीन की जेल!

मई 2016 में सीवान में ही एक पत्रकार राजदेव राय की हत्या हो गई. हत्या के पीछे शहाबुद्दीन का हाथ होने का आरोप लगाया जा रहा था. शहाबुद्दीन के करीबी लड्डन मियां को इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है. फिलहाल वो जेल में है. इसी हत्या कांड के बाद शहाबुद्दीन को भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया. सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि पत्रकार मामले में शहाबुद्दीन से पूछताछ भी नही की गई. मोदी का कहना है कि यह महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही तय हो गया कि अब शहाबुद्दीन ज्यादा दिन तक जेल नहीं रह पायेंगे.

बहरहाल शहाबुद्दीन जेल से जमानत मिलने के बाद जब बाहर आयेंगे तो फिर उन्हें 2004 वाले माहौल से अलग कुछ नहीं मिलेगा. क्योंकि सत्ता में उनकी पार्टी है. तमाम आलोचनाओं के बावजूद आरजेडी ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारणी का सदस्य बना रखा है. लेकिन मुश्किल उन लोगों के लिए है जो शहाबुद्दीन और उनके आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहें हैं.

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लेखक

सुजीत कुमार झा सुजीत कुमार झा @suj.jha

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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