कमजोर लालू करेंगे बीजेपी की राह आसान !
लालू यादव की मानें तो इस समय मोदी लहर का जवाब केवल महागठबंधन ही हो सकता है जिसके लिए उन्होंने 27 अगस्त को पटना के गांधी मैदान में भाजपा हटाओ महारैली का आह्वान किया है.
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बिहार में हाल के विवाद के बाद सत्तारूढ़ महागठबंधन में दरार दिखने लगी है. जिसे पाटने की कवायद जारी है पर निकट भविष्य में इसका कोई ठोस हल नहीं दिख रहा है. क्योंकि आरजेडी और जेडीयू दोनों ही दल अपने नफा नुकसान की सोच रहे हैं. इस विवाद से इतना तो जरूर देखने को मिला है कि लालू यादव की मुश्किलें बढ़ी हैं और वो पूरी तरह से इस मामले को निपटाने पर केंद्रित हो गए हैं.
महागठबंधन में आयी दरार राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के वजाय जेडीयू का एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने के फैसले में ही नहीं बल्कि जीएसटी पर संसद के सेशन में शामिल होने में भी देखा गया जिसका आरजेडी और कांग्रेस ने बॉयकॉट किया था. इससे बीजेपी के खेमे में खुशी और जीत के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि अग्रिम लोकसभा चुनाव की दृष्टि से फिलहाल बीजेपी के लिए लालू यादव ही सबसे बड़ा अड़ंगा लगाते दिख रहे हैं जिसका उदाहरण हमें बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था. लालू लोकसभा चुनाव को देखते हुए कुछ उसी तरह की रणनीति बनाते दिख रहे थे. आइए जानते हैं कैसे.
लोकसभा चुनाव की दृष्टि से फिलहाल बीजेपी के लिए लालू यादव ही सबसे बड़ा अड़ंगा लगाते दिख रहे हैं
लालू यादव की मानें तो इस समय मोदी लहर का जवाब केवल महागठबंधन ही हो सकता है जिसके लिए उन्होंने 27 अगस्त को पटना के गांधी मैदान में भाजपा हटाओ महारैली का आह्वान किया है.
इस रैली में तमाम विपक्षी दलों के मुखियाओं को न्योता दिया गया है. सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, मायावती और अखिलेश यादव इस रैली में शामिल हो सकते हैं और लालू सीबू सोरेन को भी साथ ला सकते हैं, जो बीजेपी के लिए चिंता का विषय है. वैसे भी अखिलेश ने मायावती के साथ जाने का संकेत यूपी विधानसभा चुनाव के बाद दिया था जिसकी बात लालू पहले से ही कह रहे थे.
अगर पश्चिम बंगाल को फिलहाल अलग करके देखें तो लालू का यूपी, बिहार और झारखण्ड में असर है क्योंकि वो इन राज्यों में महागठबंधन तैयार करते दिख रहे हैं. इन राज्यों में कुल लोकसभा सीटों की संख्या 134 (यूपी 80 + बिहार 40 + झारखण्ड 14) है, जिसमें से बीजेपी और उसकी सहयोगियों ने पिछले चुनाव में 116 सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में अगर इन राज्यों में महागठबंधन हो जाता है तो तस्वीर जरूर कुछ बदलेगी.
वैसे रणनीतिकारों की मानें तो 2019 में बीजेपी के सामने कोई चुनौती नहीं दिख रही है, क्योंकि राहुल गांधी (कांग्रेस) के नेतृत्व में फिलहाल ज्यादा उम्मीद नहीं दिखती, मगर महागठबंधन की सूरत में जरूर कुछ मुश्किल खड़ी हो सकती है. लेकिन लालू और उनके परिवार पर हाल के सीबीआई छापों से ऐसा होता नहीं दिख रहा है, क्योंकि इस महागठबंधन के गढ़ बिहार में ही सेंध लग चुकी है, देखना है कि आगे की स्थिति क्या होती है.
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