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Updated: 15 अप्रिल, 2017 04:24 PM
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पाकिस्तान की आर्मी ने पूर्व भारतीय नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव को फांसी दिए जाने के मुद्दे पर कोई भी समझौता नहीं करने की बात कही है. तीन दिन पहले पाकिस्तान ने एक नया शगूफा छोड़ा, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बताया कि नेपाल में उनका एक पूर्व सैन्य अधिकारी गायब हो गया है, और उसे भारत के खुफिया विभाग ने अपने कब्जे में कर लिया है.

करगिल घुसपैठ खलनायक पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कल टेलीविज़न इंटरव्यू में कहा कि ब्लूचिस्तान में गिरफ्तार कुलभूषण जाधव रॉ का एजेंट है, और उसे पाकिस्तान के कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए.

भारतीय नेवी के पूर्व अफसर कुलभूषण यादव को सजा-ए-मौत के एलान के बाद कल शाम को पाकिस्तान ने पीओके के पास तीन लोगों को अरेस्ट किया है, जिन्हें रॉ एजेंट बताया जा रहा है. पाकिस्तानी मीडिया ने शनिवार को यह दावा किया.

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लगातार हो रही इन तमाम स्थितयों के मद्देनजर दोनों देशों को समुद्री सुरक्षा के लिए 17 अप्रैल को एक मीटिंग करनी थी. लेकिन शुक्रवार (14 अप्रैल) को भारत ने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को यह संदेश भेज दिया कि भारत ऐसी किसी बातचीत के लिए फिलहाल तैयार नहीं है.

कुलभूषण सुधीर जाधव को पाकिस्तारन ने रॉ का एजेंट होने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है. उनकी गिरफ्तारी से लेकर पहचान तक तमाम सवाल उठ रहे हैं. पाकिस्तान का दावा है कि उसने रॉ की जासूसी के आरोप में कुलभूषण को बलूचिस्तान से पकड़ा था. हालांकि उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका तालिबान ने अपहरण कर पाकिस्तान को बेच दिया था. भारत सरकार ने माना है कि वह पूर्व नौसेना अधिकारी थे और 14 साल सेवा करने के बाद उन्होंने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. वह 2003 में रिटायर हो गए थे. हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि जाधव अभी भी भारतीय नौसेना के अधिकारी हैं और उनको 2022 में रिटायर होना था. पाकिस्तान के दावे से उलट भारत ने सभी दावों को खारिज किया था. भारत ने कहा था कि वीडियो में जो भी जाधव बातें कर रहे हैं, उनमें कुछ भी सच्चाई नहीं है. जाधव का वीडियो में दिया गया बयान, दबाव में दिया गया बयान है.

पाकिस्तान अक्सर भारत पर बलूचिस्तान व कराची में अशांति पैदा करने का आरोप लगाता रहा है. भारत, पाकिस्तान पर जम्मू एवं कश्मीर सहित भारत में आतंकवादी समूहों का समर्थन व वित्तपोषण करने का आरोप लगाता रहा है.

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इन तमाम बातों से ये साफ जाहिर हो रहा है और भारत सरकार को यह महसूस हो गया है कि यह पाकिस्तान की पड़यंत्रकारी नीतियों का हिस्सा है. साथ ही, यह भारत विरोधी गतिविधियों से बाज आने वाला नहीं है. गौरतलब है कि पाक की सैन्य कोर्ट का मुकदमा 'नो प्रूफफाउंड' पर चलाया गया. यहां तक कि जाधव से भारतीय उच्चायोग के संपर्क को लेकर भारत के 14वें प्रयास को भी पाकिस्तान ने शुक्रवार को खारिज कर दिया था.

इस घटना के खिलाफ पूरे भारत में काफी गुस्सा है, और भारत सरकार ने भी जाधव को छुड़वाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने की बात कहकर अपने मंशा जहिर कर दी है.

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में काफी उतर चढ़ाव रहे हैं. कारगिल के बाद संबंध बिल्कुल निचले स्तर पर पहुंच गए थे, पर प्रधान मंत्री मोदी के शपथ ग्रहण में नवाज़ शरीफ के शामिल होने के बाद, और फिर अनायास मोदी के पाकिस्तान जाने पर, लगा कि अब दोनों देशों के बीच तल्खी खत्म होने की दिशा की ओर जा रही है, पर उरी और पठानकोट के हमले और उसके जवाब में पाकिस्तान में घुसकर भारत का सर्जिकल स्ट्राइक के बाद संबंध फिर से कटु हो गए.

पाकिस्तान को भी चाहिए कि कुलभूषण जाधव को भारत को सौंप दें, और वॉर हिस्टीरिया से बचा जाए. तो क्या अब ये माना जाए कि जाधव के बहाने दोनों देश फिर से बातचीत के लिए तैयार हो जाएं, और एक सोहाद्र का माहौल फिर से बनाए जाने की ओर अग्रसर हों, साथ ही जाधव के मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां न सेकी जाएं.

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लेखक

जगत सिंह जगत सिंह @jagat.singh.9210

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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