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Updated: 16 मार्च, 2017 12:41 PM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
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यूपी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत ने सभी को चौंका दिया. प्रदेश में बीजेपी जिस तरह से आई लग रहा है कि यूपी के हर तबके के लोगों ने भाजपा का साथ दिया है. मुस्लिम, दलित और जाट का खुलकर सपोर्ट मिल है. लेकिन ऐसा कहना ठीक नहीं होगा. क्योंकि प्रश्न अभी भी लोगों के मन में है कि यूपी चुनाव में मुस्लिम वोटों का क्या हुआ? दलित वोट किसे मिले? और जाट वोट किस तरफ गए? आइए आपको बताते हैं यूपी में जाति की राजनीति में कौन किसके साथ है....

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यूपी चुनाव में मुस्लिम वोटर ने किसका साथ दिया

यूपी में मुस्लिम आबादी करीब 19% है. चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम समुदाय का वोट पाने के लिए एसपी और बीएसपी में जोरदार टक्कर हुई. बीजेपी ने कई मुस्लिम बहुल इलाकों में भी जीत दर्ज की. इस बार चुनाव में मुस्लिम बहुल 59 विधानसभा सीटों पर एसपी (29%) और बीएसपी (18%) ने कुल 47% वोट पाए.

अगर 2012 चुनावों से इसकी तुलना करें तो इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में कहा जा सकता है कि दोनों पार्टियों को मुस्लिमों का समर्थन बरकरार रहा. बीजेपी अन्य वोटों (कुल वोट का 39% हिस्सा) को अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब रही. बीजेपी ने अपने विपक्षियों के मुकाबले ज्यादा सीटें जीती और कुल 39 सीटों पर कब्जा जमाया. एसपी को 17 सीटें मिलीं वहीं बीएसपी खाली हाथ रही.

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दलित वोटर किसके साथ मायावती या बीजेपी

यूपी में दलितों की कुल आबादी करीब 21% है. देखा जाता है कि दलित हमेशा बीएसपी का साथ देती है. रिजल्ट देखकर लगता है कि इस बार दलित वोटरों ने बीएसपी को छोड़ बीजेपी का साथ दिया है, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. 85 रिजर्व सीटों पर बीएसपी को 24% ही वोट मिले.

वहीं 2012 विधानसभा चुनाव में 27% और 2014 लोकसभा चुनावों में उसे 23% वोट मिले थे. बीएसपी का वोट शेयर देखने के बाद यह तो लगता ही है कि वह दलित वोट बैंक बरकरार रखने में करीब-करीब कामयाब रही. बीजेपी 40% वोटों पर कब्जा करने में कामयाब रही. इस चुनाव में बीजेपी को लगभग सभी जातियों का वोट मिला और इसमें कुछ दलितों का भी हिस्सा हो सकता है.

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जाट वोटरों ने किसको दिया वोट

2014 के लोकसभा चुनाव में देखा गया था कि जाट वोटरों ने बीजेपी को खुलकर सपोर्ट किया था. इस बार ये कहना मुश्किल था कि क्या इस बार भी जाट वोटर बीजेपी का सपोर्ट करेंगे. पश्चिम यूपी में इस समुदाय को काफी प्रभावशाली माना जाता है.

2012 विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 16% ही वोट हासिल हो सके थे वहीं इस बार बीजेपी को 45% वोट मिले. जाट नेता अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी को 2012 में 11% वोट मिले थे जो इस बार घटकर 6% पहुचं गया है. इससे देखकर लगता है कि लोकसभा चुनाव की तरह जाटों ने विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी का खुलकर सपोर्ट किया.

रिजल्ट देखकर लग रहा था कि बीजेपी सभी जातियों के सपोर्ट के साथ सत्ता में आई है. लेकिन इलेक्शन कमीशन के ये आकड़े साफ बयां करते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में जैसे लोगों ने बसपा और सपा को सपोर्ट किया वैसा इस बार भी था. लेकिन बीजेपी ज्यादा वोट शेयर लेने में कामयाब रही और सत्ता में आई.

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लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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