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Updated: 12 जनवरी, 2017 04:01 PM
मौसमी सिंह
मौसमी सिंह
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कांग्रेस के जन वेदना सम्मलेन की अगुवाई कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कर ने की. सोनिया गांधी दिल्ली में रहते हुए भी सम्मलेन में नहीं आईं. इस मौके पर देश भर से कांग्रेस पार्टी के नेता आए और साथ ही मनमोहन सिंह समेत तमाम दिग्गज नेता भी मौजूद रहे. सोनिया के न आने के सियासी मायने हैं. पिछले दो महीने से पार्टी के कार्यक्रमों में जिस तरह सोनिया गैर मौजूद रही हैं उससे सोनिया के पॉलिटिकल रिटायरमेंट की अटकलें तेज हो गई हैं.

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 पिछले दो महीने से पार्टी के कार्यक्रमों में गैर मौजूद रही हैं सोनिया गांधी

बुधवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी पर मोदी सरकार पर खूब तंज कसे. राहुल ने कहा ‘कांग्रेस ने जो 70 साल में नहीं किया वो बीजेपी ने ढाई साल में कर दिया, वो है संविधानिक ढांचों का अपमान.’ इसी के साथ राहुल गांधी ने सरकार के खिलाफ जंग में खुद को कांग्रेस के कमांडर की भूमिका में ढाल लिया. संदीप दीक्षित से जब हमने पुछा कि आखिर सोनिया क्यों नहीं आईं तो वो बोले 'राहुल गांधी ने शुरुआत से ही नोटबंदी पर पार्टी की अगुवाई की है यह उनकी मुहिम थी और उनकी लीडरशिप में हमने जनता की समस्याओं को उठाने का काम किया.'

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सियासी संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि सोनिया गांधी जानबूझकर सम्मलेन में नहीं आईं. कांग्रेस अध्यक्ष की मौजूदगी में राहुल का सम्मलेन की अध्यक्षता करना संभव नहीं था. यही वजह है कि कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नहीं बल्कि राहुल गांधी कर रहे थे. यह पहली बार है कि इतने बड़े स्तर पर हो रहे पार्टी के सम्मेलन में राहुल गांधी लीड कर रहे हैं. लगभग 5000 की भीड़ में देशभर के तमाम पार्टी मेंबर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य, विधायक और सांसद शामिल हुए हैं. जाहिर है पार्टी आलाकमान जमीनी स्तर पर कार्यर्कर्ताओं को सन्देश देना चाहती है.

क्या है इसके सियासी मायने?

# पहला के सोनिया गांधी अब सियासत में पहले जैसी सक्रिय नहीं हैं, इसके साथ ही उनकी रिटायरमेंट का रास्ता भी निकाला जा रहा है.

# दूसरा सन्देश ये है कि राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार हैं और सोनिया की गैर मौजूदगी में वो पार्टी को लीड करने में सक्षम भी हैं.

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 राहुल को बतौर पार्टी के लीडर के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहती हैं सोनिया

यही नहीं ये सम्मलेन राहुल का एक तरह से लॉन्च पैड भी है. गौरतलब है कि पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सोनिया गांधी नदारद रही हैं. संसद के शीतकालीन सत्र से ही राहुल गांधी पार्टी की अगुवाई करते नजर आए हैं. संदीप दीक्षित ने कहा कि 'कांग्रेस की अध्यक्ष हैं, यह उनके ऊपर निर्भर करता है कि कब रिटायरमेंट लेना चाहिए'.

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पिछले कुछ महीने से सोनिया गांधी ने पार्टी के कामकाज में बैकसीट ली है. इसकी एक वजह उनका स्वास्थ्य है तो दूसरी मुख्य वजह राहुल को बतौर पार्टी के लीडर के तौर पर प्रोजेक्ट करना. 10 जनपथ से दरबार अब 12 तुगलक लेन राहुल के आवास पर शिफ्ट हुआ है. सदन से लेकर पार्टी के फाउंडेशन दिवस पर भी राहुल गांधी ने ही मुख्य भूमिका निभाई थी. इससे पहले कांग्रेस कार्यकारिणी समिति और पर्लियामेंट्री पार्टी की बैठक में भी सोनिया गांधी गायब थी और अगुवाई राहुल ने की थी.

लेखक

मौसमी सिंह मौसमी सिंह @mausami.singh.7

लेखिका आज तक में विशेष संवाददाता हैं.

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