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Updated: 02 अगस्त, 2017 06:10 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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नीतीश कुमार से यह पूछने पर कि क्या 2019 में मोदी फिर से पीएम बनेंगे? इसपर उन्होंने कहा, '2019 में दिल्ली की कुर्सी पर कोई और काबिज नहीं होगा.' नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपराजेय है, उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता है तथा वे 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे. ये बातें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा.

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के जिस करिश्मे की बात की है, उसमें वाकई कितना दम है. हां, नीतीश कुमार ने कोई अतिश्योक्ति नहीं कही है कि 2019 में मोदी का मुकाबला करने की क्षमता किसी में नहीं है. ये बात बिलकुल सही है. इससे पहले, कुछ दिन पहले ही जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह अपने ट्विटर वॉल पर भाजपा के अच्छे प्रदर्शन पर लिखा था कि इस हिसाब से हमें 2019 भूल 2024 की तैयारी करनी होगी. अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि इस वक्त पूरे भारत में मोदी की तरह स्वीकार्य दूसरा कोई नेता नहीं...कोई नेता नहीं जो उनको 2019 में टक्कर दे.

Narendra Modi

तो आइए एक नजर डालते हैं उन परिस्थितियों पर जो नीतीश कुमार के वक्तव्यों पुष्टि करती हैं-

1. बिखरा विपक्ष-

नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने से पहले तक विपक्षी एकता की बात कर रहे थे और मोदी के खिलाफ एक बड़ा सेक्युलर चेहरा थे. बिहार में महागठबंधन के जीत के बाद से ही नीतीश कुमार बिहार के ही तर्ज पर असम और उत्तर प्रदेश में समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने की पहल की थी लेकिन महागठबंधन छोड़ने के बाद विपक्ष की एकता को गहरा झटका लगा है. ऐसे में लोकप्रियता की बात करें तो ऐसा कोई चेहरा व्यक्तिगत तौर पर नहीं है जो नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सके. नीतीश कुमार के बाद आज विपक्षी मंच पर जितने भी पार्टी या उनके नेता हैं, या तो वे वंशवाद के प्रतीक हैं या परिवारवाद के. 

2. नेतृत्व का अभाव-

आज किसी भी पार्टी में एक स्वीकार्य नेता नहीं है. अगर हम कांग्रेस की बात करें तो कुछ दिन पहले ही प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा भी कह चुके हैं कि कांग्रेस नेताविहीन है और गांधी परिवार से मुक्त हुए बिना कांग्रेस का पुनरुत्थान असंभव है. उन्होंने कांग्रेस को नीतीश को नेता बनाने का सुझाव भी दिया था. हालांकि कांग्रेस में विपक्ष का नेतृत्व करने की क्षमता है, लेकिन आज उनके पास कोई स्वीकार्य नेता नहीं है. अगर बात राहुल गांधी की करें तो उनके खाते में नेता बनने से पहले ही इतनी चुनावी विफलताएं लाइन लगाए खड़ी हैं जो जनता के विश्वास जितने में सबसे बड़ा बाधक सिद्ध हो सकता है.

3. कमज़ोर कांग्रेस-

आज के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो कांग्रेस की स्थिति पतली है, वो लगातार 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद राज्यों को भी खोती जा रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे मात्रा 44 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. उसके बाद उसके हाथ से एक के बाद एक करके राज्यों को भाजपा ने अपने पाले में कर लिया. हालत इस तरह बदतर हो गए कि इसके बाद कहने के लिए बड़े राज्यों के नाम पर कर्णाटक और पंजाब ही बचे. कुल मिलकर मात्र 6 राज्यों में इसकी सरकार बची है.

4. मुद्दों का अभाव-

विपक्ष के पास ऐसा कोई मुद्दा नहीं बचा है जिसको लेकर वो जनता के बीच जा सके. विपक्षी दलों ने ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया है जिससे लगे कि भविष्य में कुछ उभरकर सामने आएगा. विपक्ष के राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की स्थिति ठीक नहीं है और न ही विपक्ष की कोई खास रणनीति है ऐसे में पीएम मोदी हर लिहाज से सभी के ऊपर भारी पड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. जहां तक बात राहुल गांधी की है वो मुद्दों को जनता के बीच ठीक से नहीं रख पाते. न तो उनमे वो वकृत्य कला है न तो जनता को अपने तरफ खींचने की कला जिससे वो मोदी का मुकाबला कर सकें.

5. जनता का रूख-

जब से मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत भाजपा के दिलायी है तब से लगातार अपना जनाधार या यों कहें कि इसकी सरकारें राज्य-दर-राज्य बनती चली गयीं. इसके प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गोवा और मणिपुर में भी भाजपा बहुमत में कुछ कमी के बावजूद सरकार बनाने में कामयाब रही. ऐसे में अगर देश के मानचित्र को देखा जाए तो हर जगह भगवा रंग ही नजर आता है. अब 18 राज्यों में या तो भाजपा या इसके गठबंधन की सरकारें हैं.

उपरोक्त परिस्थितियों को अगर एक तार में पिरोकर देखा जाए तो ऐसा लगता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह वक्तव्य कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपराजेय है तथा उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता है तथा वे 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे बिलकुल सही प्रतीत होता है.

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लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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