New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 19 मई, 2017 05:20 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
  @arvind.mishra.505523
  • Total Shares

आजकल हमारे देश के नेतागण मौनव्रत पर हैं. चाहे वो कश्मीर में पत्थरबाजों के क़हर, भारतीय सैनिकों की पाकिस्तान द्वारा बर्बर हत्या, या  सुकमा में जवानों पर हमले पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी हो या फिर खुद पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की चुप्पी हो, या लालू प्रसाद तथा उनके परिवार के ऊपर लगे बेनामी सम्पत्ति के ऊपर नितीश कुमार की खामोशी. और जब से हाल में पांच राज्यों के विधानसभा के चुनावों के परिणाम आए हैं तब से गांधी परिवार भी खामोश है. सारे चुप्पी साधे हुए हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो पूरे देश में राजनीतिक सन्नाटा छाया हुआ है.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी

साल 2004 से लेकर 2014 तक यानी पूरे दस साल. ये वो समय था जब देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हुआ करते थे. पूरा देश उनके न बोलने से परेशान था.  यहां तक कि नरेंद्र मोदी उनको "मौन मोहन सिंह” के नाम से बुलाते थे. मई 2014 में समय बदला और एक दहाड़ने वाले प्रधानमंत्री यानी नरेंद्र मोदी को देश की  जनता ने “मौन मोहन सिंह” की जगह पर पदस्थापित किया. कुछ दिनों तक वो दहाड़े भी, लेकिन अब एकदम से मौनव्रत धारण कर लिया.

Image result for modi

ऐसा नहीं है कि कश्मीर में पत्थरबाजों का कहर, भारतीय सैनिकों की पाकिस्तान द्वारा बर्बर हत्या, या छत्तीसगढ़ के सुकमा में जवानों पर हुए हमला पर ही उनकी चुप्पी रही है, इससे पहले भी उनकी राय जानने के लिए लोग तरसे हैं- जब अख़लाक को मार दिया गया था या फिर नोटबंदी की घोषणा हुई थी.

मोदी कुछ ही दिनों में अपने शासन का तीसरा साल पूरा करनेवाले हैं. प्रधानमंत्री मोदी के '56 इंच की छाती' का कमाल कब दिखेगा ये जनता ज़रूर जानना चाहती है. हां, प्रधानमंत्री की जगह "सूत्र" आजकल खूब बोल रहे हैं. ये बात अलग है कि "मन की बात" में हमारे प्रधानमंत्री ज़रूर बोलते हैं.  

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की खामोशी

बात केवल नरेंद्र मोदी की ही नहीं है. ज़रूरत से ज़्यादा बोलने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री भी आजकल मौनव्रत पर हैं क्योंकि उनपर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगे हैं. और ये आरोप कभी मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के करीबी और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने लगाए हैं.

arvind kejriwal

ये बात अलग है कि जब मामला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का था तो वो बढ़ चढ़कर बोल रहे थे. वो रोज़ाना प्रेस कांफ्रेंस भी कर रहे थे. बेचारे कपिल मिश्रा छह दिनों तक भूख हड़ताल पर बैठे रहे और अंततः यह हड़ताल तोडनी पड़ी, लेकिन अरविन्द केजरीवाल की चुप्पी तोड़वाने में वो नाकाम रहे. यहां तक कि इस पूरे मामले पर योगेंद्र यादव ने अरविंद केजरीवाल को चुप्पी तोड़ने की हिदायद भी दी लेकिन सब व्यर्थ. ये बात अलग है कि अपने ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों और विपक्ष के हमलों पर चुप्पी साधे रखने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हाल ही में रिलीज फिल्म सरकार-3 देखने ज़रूर गए.

गांधी परिवार की चुप्पी

जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. हाल में ही सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद तो राहुल गांधी जैसे "हाइबरनेशन" में चले गए हैं.

sonia gandhi

सोनिया गांधी तो पहले से ही बीमार चल रही थीं. ऐसे में मां-पुत्र की आवाज सुने हुए काफी वक़्त हो गया है. हां, ये बात अलग है कि कांग्रेस ने अभी-अभी मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर अपने युवा नेताओं को काम पर लगाया है ताकि मोदी के तीन साल के काम काज पर निशाना साधा जाए.

नितीश कुमार का मौनव्रत

बेनामी संपत्ति को लेकर आयकर विभाग ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के दिल्ली और हरियाणा के 22 ठिकानों पर छापेमारी की. लेकिन नितीश कुमार जो कि लालू प्रसाद के साथ बिहार में गठबंधन सरकार चला रहे हैं बिल्कुल शांत हैं. कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.

nitish kumar

और इसका मतलब राजनीतिक गलियारों में दोनों के बीच दरार का निकाला जा रहा है. फिर भी नितीश कुमार चुप हैं. ये बात और है जब उन्होंने एक दिन पहले ही चुप्पी तोड़ी थी उसके अगले ही दिन आयकर विभाग छापा मारा था.

ये नेताओं की चुप्पी हमारे लोकतंत्र के खतरे की घंटी है. एक स्वस्थ्य लोकतंत्र में जनता यह उम्मीद करती है कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति जनता की समस्याओं को सुनें और उसके लिए कार्य करें. जो नेतागण रेडियो, टीवी, और बड़े बड़े होर्डिंग्स पर छाए रहते हैं उन्हें समझना चाहिए कि लोकतंत्र के हित में उन्हें जनता से दोतरफा संवाद करना चाहिए.  इसमें देश की जनता या देश की ही नहीं बल्कि उन नेताओं की भी भलाई निहित है.  

ये भी पढ़ें-

मोदी की योजनाएं जहां पहुंची हैं वहां से उनका सीना नापा जा सकता है !

तो क्या इस वजह से टारगेट पर हैं लालू?

योगी आदित्यनाथ के राज में क्राइम आउट ऑफ कंट्रोल!

लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय