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Updated: 05 सितम्बर, 2017 06:54 PM
बिजय कुमार
बिजय कुमार
  @bijaykumar80
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2014 में हुए आम चुनाव के प्रचार के दौरान श्री नरेंद्र मोदी ने देश वासियों से कई वादे किये, जिसमें महिलाओं और युवाओं को खासा तवज्जो दी गयी थी. मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री मोदी की कैबिनेट और उनके फैसलों में महिलाओं और युवाओं को महत्व दिया गया, लेकिन बात उनके मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या कि करें तो का ये पहले कि भांति ही कम रही. हाँ इतना जरूर है कि उनके मंत्रिमंडल में महिलाओं को काफी अहम जिम्मेदारी दी गयी.

मोदी कैबिनेट, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमन

मई 2014 में बने मोदी मंत्रिमंडल में अहम था सुषमा स्वराज का विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभालना क्योंकि तीन दशकों के बाद एक बार फिर किसी महिला को इसकी जिम्मेदारी मिली थी. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी देश की पहली विदेश मंत्री थीं और 1984 में भी प्रधानमंत्री रहते हुए कुछ समय के लिए विदेश मंत्रालय का प्रभार अपने पास रखा था. वैसे सुषमा स्वराज की क्षमता और योग्यता के बारे में हम सभी जानते हैं, यही वजह भी है कि वो एक विदेश मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं. इससे पहले वो लोकसभा में नेता विपक्ष भी रह चुकी हैं. हाँ, नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट में स्मृति ईरानी को शामिल कर सबको जरूर चौंकाया था. वो ना सिर्फ सबसे युवा महिला कैबिनेट मंत्री बनीं बल्कि उन्हें मानव संसाधन जैसा अहम मंत्रालय का प्रभार भी दिया गया था. बहारहाल उनसे ये मंत्रालय वापस ले लिया गया है और अब उनके पास कपड़ा मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का कार्यभार है. ये दोनों मंत्रालय भी अहम माने जाते हैं.

तीन सितंबर को किये गए मंत्रिमंडल के तीसरे विस्तार में एक बार फिर प्रधानमंत्री ने तब सबको चौंका दिया जब उन्होंने निर्मला सीतारमण को देश के नए रक्षा मंत्री का कार्यभार सौंपा. देश के इतिहास में निर्मला सीतारमण भारत की पहली फुल टाइम रक्षा मंत्री हैं. उनसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए रक्षा मंत्री का प्रभार भी अपने पास रखा था. हाल ही में चीन के साथ ख़त्म हुए डोकलाम विवाद और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की देश पर टेढ़ी नजर के बीच रक्षा मंत्री का पद काफी अहम मन जा रहा था. साथ ही हाल ही में कैग रिपोर्ट में हुए खुलासों से इस मंत्रालय का बोझ और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में बहुत सुधार करने की जरुरत है और कई सौदों पर फैसले भी लेने की आवश्यकता है जिससे की कई बार मंत्री बचते हैं. वैसे उनके अबतक के रिकॉर्ड और व्यक्तित्तव को देखकर कर लगता है कि वो इस मुश्किल से आसानी से पार पा लेंगी.     

मोदी कैबिनेट, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमन

निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2008 में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी. उनका इस दल से जुड़ने का एक कारण महिला आरक्षण के मुद्दे को भी माना जाता है. संसद में जब बीजेपी ने 33 फीसद महिला आरक्षण की मुहिम चलायी, उस दौरान ही निर्मला सीतारमण, सुषमा स्वराज के संपर्क में आयीं थीं. वैसे महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग पर देश के दोनों बड़े दल समर्थन में दिखते हैं पर आज भी ये मांग पूरी नहीं हो सकी है. क्योंकि लगभग हर दल में महिलाओं की भागीदारी बहुत ही कम है.

शुरू मौजूदा मंत्रिमंडल से करे तो इस समय 9 महिलाएं इसमें शामिल है जिनमे से 6 कैबिनेट और 3 राज्य मंत्री हैं. उपरोक्त के अलावा बाकी तीन कैबिनेट मंत्री हैं मेनका गांधी (केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री), हरसिमरत कौर बादल (केंद्रीय खाद्य और प्रसंस्करण मंत्री) और उमा भारती (केंद्रीय पेय जल एवं स्वच्छता मंत्री). वहीं कृष्णा राज (कृषि और किसान कल्याण मंत्री), अनुप्रिया पटेल (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री) और साध्वी निरंजन ज्योति (खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्री) मोदी सरकार में महिला राज्य मंत्री का कार्यभार देख रही है. पूर्व की मनमोहन मंत्रिमंडल में भी महिलाओं की संख्या लगभग इतनी ही थी.

बात करें सोलहवें लोकसभा की तो इसमें 62 महिलाएं जीत कर आयीं जो कि कुल संसद सदस्यों का 11.3 फ़ीसदी है. कुछ यही हाल पंद्रहवीं लोकसभा का भी था जिसमें 58 महिलाओं चुनकर आयीं थीं. वैसे संख्या के मामले में 16वीं लोकसभा का प्रदर्शन अबतक सबसे बेहतर रहा है. पहली लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी महज 5 फ़ीसदी थी. आज देश के उच्च सदन राज्यसभा में वर्तमान में महिलाओं कि संख्या 28 है.

आंकड़ों से ये साफ़ दिखता है कि देश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कुछ बढ़ रही है पर अब भी ये बहुत ही कम है, लेकिन मौजूदा मंत्रिमंडल में महिलाओं को अहम भागीदारी दिए जाने से देश की महिलाओं में एक अच्छा सन्देश गया है.

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लेखक

बिजय कुमार बिजय कुमार @bijaykumar80

लेखक आजतक में प्रोड्यूसर हैं.

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