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Updated: 15 मई, 2017 07:21 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
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कुलभूषण जाधव मामले में ICJ यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में पब्लिक हियरिंग हो रही है. हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों ही कुलभूषण मामले में अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं.

कैसे कुलभूषण मामले से जुड़ा ICJ...

भारत ने 8 मई को ICJ से गुहार की थी कि जाधव की फांसी को तब तक रोक दिया जाए जब तक पूरे मामले को सुन नहीं लेते. भारत ने पाकिस्तान पर विएना कन्वेंशन तोड़ने का आरोप लगाया था. साथ ही, ये भी कहा कि जाधव की गिरफ्तारी के बारे में भारत को काफी समय बाद बताया गया.

कुलभूषण जाधवआईसीजे का हियरिंग चेंबर

भारत ने ये भी आरोप लगाया है कि कुलभूषण मामले में पाकिस्तान ने 16 बार भारत की अर्जी ठुकराई है. भारतीय अथॉरिटी कुलभूषण से एक बार मिलना चाहती थी.

भारत ने ICJ के सामने ये भी कहा कि भारत के पास ये जानकारी आई थी कि कुलभूषण नेवी से रिटायर होने के बाद ईरान में अपना व्यापार कर रहा था और वहां से उसे अगवा किया गया था. इसके बाद 3 मार्च 2016 को कुलभूषण की गिरफ्तारी की खबर मिली.

कैसे काम करता है ये कोर्ट?

ICJ का हेडक्वार्टर नीदरलैंड, हेग में है. इसकी शुरुआत 1945 में की गई थी और 1946 से इसके अपना काम शुरू कर दिया था. अलग-अलग देशों से 15 जज ICJ में होते हैं और किसी भी एक देश से एक समय में 1 से ज्यादा जज नहीं हो सकते.

ये 15 जज 9 सालों के लिए चुने जाते हैं. हालांकि, हर 5 साल बाद जज बदले जा सकते हैं. अगर किसी जज की मृत्यु कार्यकाल में होती है तो उसी के देश के जज को जगह दी जाती है.

इस कोर्ट का अहम काम है इसके मेंबर द्वारा भेजे गए मामलों में अपना फैसला सुनाना (Contentious Cases) और दूसरा है इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन, एजेंसी और यूनाइटेड नेशन जर्नल असेम्बली द्वारा भेजे गए मामलों में अपनी राय देना (Advisory Opinions). इन्हीं दो तरह के केस ICJ में आते हैं. .

यूनाइटेड नेशन के सभी 192 मेंबर (देश) ICJ तक पहुंच सकते हैं. कुछ देशों ने ICJ के न्याय को ही सर्वमान्य मान लिया है. अगर दो देश जो ICJ के ज्यूरिडिक्शन को मानते हैं उनके बीच अगर कोई भी मसला आता है तो ICJ अंतिम फैसला दे सकता है. जो देश इससे दूर है वो भी अगर चाहें तो एक खास अग्रीमेंट के चलते ICJ की सेवाएं ले सकते हैं.

ये कोर्ट दो तरह से केस की सुनवाई कर सकता है एक तो इंटरनेशनल लॉ के तहत और दूसरा एक्स एक्विओ एट बोनो (यानी न्यायपक्ष और निष्पक्षता के साथ). इस तरह के फैसले में जज अपनी विवेकशीलता का इस्तेमाल करते हैं और फैसला इस आधार पर सुनाते हैं कि क्या सही है और क्या गलत. हालांकि, इस तरह के मामले ICJ में कभी देखने को नहीं मिले.

ICJ के पास ऐसी पावर भी है जिसमें वो अपने खुद के नियम बना सकता है. कोर्ट का पहले प्रोसीजर 1978 के नियमों के हिसाब से चल रहा था और 2005 में इसे बदला गया था. इस कोर्ट में कोई भी केस जाता है तो उसे एक निश्चित पैटर्न से चलना पड़ता है. इसमें सबसे पहले जो केस फाइल करता है उसे एक लिखित मेमोरियल सेटिंग जेनी होती है और अपने क्लेम के बारे में बताना होता है. इसके बाद जिसके खिलाफ केस है वो भी इसी तरह का एक मेमोरियल देता है.

ICJ क्या कर सकता है...

इस मामले में ICJ एक अहम फैसला सुना सकता है जिससे कुलभूषण जाधव की फांसी रुक जाए. पाकिस्तान ICJ का फैसला मानता है या नहीं इसपर भी एक सवाल है. विएना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशन (VCCR) के प्रोटोकॉल के मुताबिक ICJ ही मसले का हल निकाल सकता है. अगर पाकिस्तान ICJ का फैसला नहीं भी मानता है तो भी इसका मामले में कोई असर नहीं होगा क्योंकि भारत ICJ तक आर्टिकल 36(1) के तहत पहुंचा है.

इस आर्टिकल के अंतरगत अंतिम फैसला दोनों देशों की संधियों और कोर्ट के फैसले के आधार पर होता है. जाधव का केस VCCR प्रोटोकॉल पर बैठता है. जिनेवा में वकील शशांक कुमार जो ICJ में लॉ क्‍लर्क के पद पर हैं, कहते हैं कि पाकिस्‍तान कोर्ट के फैसले को चैलेंज जरूर कर सकता है, लेकिन इसमें उसका रोल काफी कम हो जाएगा. हालांकि, भारत को ये भी डर है कि कुलभूषण जाधव को पहले ही फांसी पर चढ़ाया जा सकता है. ये डर सभी के मन में है कि पाकिस्तान फैसले को ना माने या फिर ICJ के फैसले से पहले ही कोई कदम उठा ले.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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