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Updated: 26 मार्च, 2017 02:03 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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ब्रिटिश संसद में पाकिस्तान के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमे कहा गया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है. प्रस्ताव में कहा गया है कि पाकिस्तान 1947 से ही इस पर गैरकानूनी तौर से कब्जा कर रखा है. यह प्रस्ताव कंजरवेटिव पार्टी के नेता बॉब ब्लैकमेन ने पाकिस्तान सरकार के फैसले के खिलाफ रखा था. पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान का इस क्षेत्र पर कोई हक नहीं है वह जबर्दस्ती इसपर अपना हक जता रहा है और गिलगित-बाल्तिस्तान की डेमोग्राफी में बदलाव की कोशिश को स्टेट ऑब्जेक्ट ऑर्डिनेंस का उल्लंघन माना जाएगा. इस प्रस्ताव में साफ तौर पर कहा गया है कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्तिस्तान के लोगों को उनके फंडामेंटल राइट्स और राइट ऑफ फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन से महरूम कर रखा है. इस प्रस्ताव में साफ कहा गया है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत वहां किसी भी कंस्ट्रक्शन को विवादित एरिया में हस्तक्षेप समझा जाएगा

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प्रस्ताव की अहम बातें...

* चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत यहां कोई भी कंस्ट्रक्शन अवैध है.* चीन ने पाकिस्तान के इस क्षेत्र में जो भी कंस्ट्रक्शन किया है वो बड़ा वॉयलेशन है.* चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए चीन ने 24 हजार सैनिक तैनात करना बड़ा वॉयलेशन है.* पूरे क्षेत्र की डेमोग्राफी में बदलाव की कोशिश स्टेट ऑब्जेक्ट ऑर्डिनेंस का वॉयलेशन है.* पाकिस्तान सरकार द्वारा किसी भी देश को इस क्षेत्र में जमीन देना वॉयलेशन है.

पाकिस्तान इसे पांचवां प्रॉविंस का दर्जा क्यों देना चाहता है?

* पाकिस्तान चीन को खुश करना चाहता है.* चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर इसी इलाके से गुजरने वाला है और चूंकि, ये विवादित इलाका है, इसलिए चीन चाहता है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तैयार होने के पहले इसके तमाम कानूनी पहलू पूरे कर लिए जाएं.* पाकिस्तान में अभी चार प्रॉविंस बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध हैं. अगर गिलगित-बाल्टिस्तान को भी ये दर्जा दिया जाता है तो ये पांचवा प्रॉविंस बन जाएगा.* भारत के लिए दिक्कत ये होगी कि पाकिस्तान कानूनी तौर पर इस इलाके पर अपना दावा पुख्ता कर पाएगा और चीनी आर्मी की यहां मौजूदगी भी हो जाएगी.

भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?

* यह इलाका पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से लगा हुआ है.* इसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से यह इलाका भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.* इसके पश्चिम में पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत, उत्तर में चीन और अफगानिस्तान और पूरब में भारत है, जिसमें दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध का स्थल सियाचिन भी शामिल है.* गिलगित-बाल्टिस्तान 1947 तक वजूद में रही जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा रहा था इसलिए यह पाकिस्तान के साथ क्षेत्रीय विवाद का हिस्सा है.

गिलगित-बाल्टिस्तान का इतिहास

* 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा किया उनमें गिलगिट-बल्टिस्तान भी शामिल है.* 72,971 वर्ग किमी में फैले इस इलाके की अनुमानित जनसंख्या 18 लाख है.* कब्जे वाले कश्मीर को दो हिस्सों में बांटा, जिनमें एक PoK और दूसरा गिलगिट-बल्टिस्तान बना.* दोनों क्षेत्रों की अपनी-अपनी विधानसभाएं हैं और तकनीकी रूप से पाकिस्तान संघ का हिस्सा नहीं हैं.* हकीकत यह है कि दोनों क्षेत्रों में पाक सरकार और आर्मी की कठपुतली सरकारें ही काम करती हैं.* PoK सुन्नी बहुल है जबकि गिलगित-बल्तिस्तान की आबादी शिया बाहुल्य है.* गिलगित बाल्तिस्तान की सीमाएं, चीन और अफगानिस्तान के अलावा जम्मू कश्मीर से जुड़ी हुई हैं.* चीन इस इलाके के खनिजों और पनबिजली संसाधनों के दोहन के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया.* पाकिस्तान के साथ मिलकर यहां रेल कॉरिडोर और अन्य प्रोजेक्ट लाया जिसे भारत ने अवैध बताया है.* जब भी पाकिस्तान चीन की गतिविधियों का यहां के लोग विरोध करते हैं तो सेना इसे कुचल देती है.* चीन-पाकिस्तान गलियारे का विरोध करने वालों पर आतंकवाद रोधी कानून लगाया जाता है.

हालाँकि, समय-समय पर भारत अपना विरोध जताता रहा है लेकिन अब चूंकि ब्रिटेन भी भारत के समर्थन में आ गया है तो अब समय आ चुका है जब सरकार को वहां के हालात पर पैनी नजर रखनी चाहिए और वहां की मूल आबादी के हितों की रक्षा की आवाज विश्व स्तर पर भी उठाते रहना चाहिए. दुनिया के सामने जोर शोर से यह बात रखनी चाहिए कि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा है और षड्यंत्र व धोखे से पाकिस्तान द्वारा हथियाया गया है.

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लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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