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Updated: 25 फरवरी, 2017 06:17 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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समाजवादी पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र जारी होने के बाद डिंपल यादव जहां भी जातीं वादों की फेहरिस्त बड़े ही रोचक तरीके से पेश करतीं. मैनिफेस्टो की एक एक चीज के बारे में विस्तार से समझातीं - और लोग बड़ी दिलचस्पी के साथ सुनते. कई लोग तो ऐसे भी होंगे जिन्हें पहली बार पता चला होगा - अच्छा अखिलेश यादव के वादों में ये भी शुमार है?

वादे गिनाते गिनाते अचानक वो गहरे कटाक्ष करने लगीं. वो नाम तो नहीं लेतीं लेकिन आशय शिवपाल यादव से ही होता. अब डिंपल और भी आक्रामक हो गयी हैं. कुछ रैलियों में तो मायावती लेकिन हर रैली में उनके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होते हैं.

चाबी और भाभी

जब वोट डालने की बारी इटावा की आने वाली थी तो अखिलेश यादव ने कुछ लोगों पर साजिश की आशंका जतायी. उनके बाद एक रैली में डिंपल ने हंसते हंसते पूरी बात कह डाली, "लोगों ने साजिश तो ऐसी की थी कि आपके भैया के पास केवल चाबी और भाभी रह जाए पर ऐसा हो सकता था क्या? ऐसा इसलिए नहीं हो सकता था कि आपकी दुआ और आशीर्वाद साथ था. आपकी दुआओं और आशीर्वाद की वजह से ही हमें साइकिल मिली."

dimple-yadav_650_022517055953.jpgकसाब में 'क' को कंप्यूटर,.. 'स' को स्मार्टफोन और 'ब' से...

प्रधानमंत्री मोदी ने एक रैली में अखिलेश यादव के चुनावी स्लोगन - 'काम बोलता है' को लेकर कहा था - 'आपके काम नहीं कारनामे बोलते हैं'. बाद में डिंपल ने इसे भी मनोरंजक अंदाज में समझाया.

काम बोलता है...

मोदी के बयान पर डिंपल बोलीं, "काम हो रहा तो प्रदेश को बदनाम करने में लगे हैं - क्योंकि काम हो रहा है. आपने वो गाना सुना है पुराने वाला जिसमें कहा जाता है कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है. जो है नाम वाला वही बदनाम है. तो आप सोच लिजिए - जो काम कर रहा है वही बदनाम हो रहा है.”

एक रैली में डिंपल ने एक साथ प्रधानमंत्री के मन की बात और यूपी का गोद लिया बेटा के नाम पर मोदी को लपेटा.

डिंपल ने कहा, "अखिलेश यादव प्रदेश का बेटा है वो मन की बात नहीं करता बल्कि काम की बात करता है. वो प्रदेश के विकास के सपने देखता है कि कैसे आम आदमियों को रोजगार के साधन मिले, कैसे महिलाओं को पेंशन मिले, कैसे हमारी सड़कें ठीक हो, कैसे छात्रों को लैपटाप मिले, कैसे बच्चों की अच्छी पढ़ाई हो, कैसे बिजली आये, कैसे पक्की सड़के बनें."

बिजली कब से...

प्रधानमंत्री मोदी ने श्मशान और कब्रिस्तान के साथ साथ कहा था कि रमजान और होली पर बिजली को लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिये. मोदी की इस बात पर उनके विरोधियों ने खूब बवाल किया.

मोदी की बात पर एक रैली में डिंपल ने सवाल उठाया, "बिजली कब से हिंदू और मुस्लिम हो गई, पता नहीं नहीं चला."

इसके बाद डिंपल ने समझाया कि क्यों अखिलेश ही बिजली व्यवस्था में सुधार ला सकते हैं, "आपके भैया इंजीनियर हैं. वो जानते हैं कि बिजली व्यवस्था कैसे सुधरेगी."

कसाब

हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी को कसाब से निजात दिलाने की बात कही थी. कसाब से शाह का मतलब - कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीएसपी था.

डिंपल यादव ने कसाब की नई परिभाषा दी है - 'कसाब' के 'क' को कंप्यूटर, 'स' को स्मार्टफोन और 'ब' से बहनों के लिए बहुत सारी योजनाएं.

अखिलेश से आगे

अखिलेश यादव अक्सर चुनावी सभाओं में मायावती के लिए पत्थर वाली सरकार कहा करते हैं. अखिलेश की ही बात को आगे बढ़ाते हुए एक कदम आगे बढ़ कर डिंपल नोटबंदी के बहाने केंद्र की मोदी सरकार को भी घसीट लेती हैं.

डिंपल कहती हैं, "पत्थर वाली सरकार ने हाथी लगवाए. उनके कुछ हाथी बैठे हैं और कुछ खड़े हैं. मैं इसमें एक लाइन जोड़ना चाहती हूं कि उनके सारे हाथी एक ही लाइन में खड़े हैं. एक सरकार ऐसी है जिसने हाथियों को लाइन में खड़ा कर दिया और दूसरी सरकार ने पूरे देश को लाइन में खड़ा कर दिया."

2009 में फिरोजाबाद लोक सभा संसदीय सीट से डिंपल यादव को राज बब्बर ने हरा दिया था - लेकिन तीन साल बाद जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो कन्नौज से उन्हें निर्विरोध चुन लिया गया.

संसद में एक बार डिंपल ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर भाषण दिया जिसमें वो अटक अटक कर बोल पाई थीं, फिर कहा कि उनके ससुर खुश हैं क्योंकि 'आखिरकार मैं बोल रही हूं.' डिंपल मुलायम सिंह यादव की बहू हैं.

एक दिन जब डिंपल अपर्णा यादव के लिए वोट मांगने लखनऊ पहुंचीं तो देवरानी ने कहा कि बड़ी भाभी उन्हें आशीर्वाद देने आई हैं और ये उन विरोधियों के लिए करारा तमाचा है जो परिवार के बारे में अफवाहें फैला रहे हैं. डिंपल की प्रतिक्रिया थी, "बहुत बढ़िया बोला".

डिंपल के साथ एक इंटरव्यू में अखिलेश यादव से पूछा गया कि पारिवारिक झगड़े के वक्‍त क्‍या डिंपल ने उनका साथ दिया?

जैसा गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है, 'धीरज धर्म मित्र अरु नारी - आपद काल परिखिअहिं चारी', अखिलेश का भी जवाब था - 'ऐसे कठिन समय में और किसका भरोसा किया जा सकता है? केवल पत्‍नी ही इस तरह के संकट में साथ खड़ी होती है. सभी के जीवन में ऐसा समय आता है.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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