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Updated: 27 सितम्बर, 2016 09:54 PM
सुजीत कुमार झा
सुजीत कुमार झा
  @suj.jha
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश और प्रेस कांउसिल आॅफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू की मानसिकता पर तरस आता है. वैसे तो वो उल-जुलूल बयानों के लिए हमेशा जाने जाते रहे हैं और उनके इन बयानों को कोई तवज्जों भी नहीं देता. इतने उंचे पदों को सुशोभित करने वाले काटजू से ऐसे बेतुके मजाक की आशा कोई नही कर सकता. उनके हिसाब से पाकिस्तान को कश्मीर दे दो साथ भी बिहार को भी लेने जैसा मजाक दरअसल बिहार के साथ ही मजाक नहीं है बल्कि यह देश कि अस्मिता के साथ मजाक है.

जिस कश्मीर के लिए पूरा देश सिर कटाने के लिए तैयार है, उसे पाकिस्तान को देने की बात कर रहे हैं. यह तो देशद्रोह का मामला है. काटजू खुद न्यायाधीश रह चूके है. न्याय कि कुर्सी पर बैठकर क्या वो ऐसे ही फैसले देते थे. बिहार के बारे ऐसी बात करना जैसे बिहार उनके हिसाब से बोझ है. ऐसा लगता है कि काटजू को बिहार के गौरवशाली ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और ना ही उन्हें ये पता है कि देश की स्वतंत्रता में बिहार का क्या योगदान रहा है और देश के निर्माण में बिहार का क्या योगदान है.

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जब सभ्यता का विकास भी नहीं हुआ था तब बिहार ने नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय दिए. बिहार ने देश को प्रथम राष्ट्रपति दिया. कपिल, कणाद और याज्ञवल्क्य जैसे विद्वान दिए. आज भी हिन्दू लौ याज्ञवल्क्य स्मृति पर आधारित है. महात्मा बुद्ध को भी ज्ञान इसी बिहार की धरती पर हुआ जहां आज भी देश और दुनिया से लोग शांति की तलाश में आते हैं. सिकंदर, जिसे इतिहास ने विश्वविजयी तक कह डाला वो भी डर से बिहार (मगध) पर आक्रमण करने की हिम्मत न कर सका. बिहार ने चंद्रगुता, अशोक अदि जैसे महान सम्राट दिए जिन्होंने भारत की सीमा को इतना विस्तृत किया जिसकी कल्पना भी काटजू जैसे लोग नहीं कर सकते. पूरे भारत वर्ष पर पाटलिपुत्र राज करता था जहां दिल्ली में बैठ कर आप बिहार के साथ ये बेहुदा मजाक कर रहें वह भी पाटलिपुत्र के अधीन ही था.

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 मार्कंडेय काटजू

आधुनिक भारत जब दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा रहा है जिसमें तेजस जैसे लाइट कॉम्बैट एयर क्राफ्ट शामिल है वो भी बिहारी वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा की देन है. स्वंय शंक्राचार्य जहां नतमस्तक हुए वो भारती भी बिहार में ही जन्मी थी. जहां मनुष्य तो छोड़िए पक्षी भी वेद का उच्चारण किया करते थे, वो दरबार भी मंडन मिश्र का ही था. दिनकर वीर रस में अग्रणी मने जाने वाले राष्ट्र कवि को बिहार ने ही दिया है. महान राजनीतिज्ञ अर्थशास्त्री विष्णुगुप्त चाणक्य की जन्म एवम उनकी कर्मभूमि भी बिहार ही है. जिस अर्थशास्त्र को आज भी पूरी दुनिया मानती है उसे आपके न मानने से क्या होता है काटजू जी? आप आर्यभट्ट को भूल गए होंगे जिन्होंने शुन्य का अविष्कार किया. जिस पर पूरा अंक गणित आधारिता है, काटजू जी बाँझ कभी प्रसब की पीड़ा को नहीं समझता है.

वीर कुंवर सिंह को आप भूल गए. वो भी बिहार के सपूत थे. गांधी जी जिन्होंने चम्पारण से आंदोलन शुरू कर अंग्रेजों के खिलाफ इतनी बडी जमींन खडी की, आजादी की नींव रखी और उसी नींव पर आज आजाद भारत खडा है. और उसी आजादी का लाभ उठाकर काटजू ऐसे बयान दे रहें हैं.

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जिस उरी हमले में बिहार रेजिमेंन्ट के जवान शहीद हुए, पूरा देश पाकिस्तान से बदला लेने के लिए उबल रहा है और आप मजाक कर रहे हैं काटजू जी. यहां उन परिवारों से पूछिए जिन्होंने अपने सपूत खोए हैं और आपको ह्यूमर सूझ रहा है. बिहार ने भी इस हमले में अपने तीन सपूत खोए हैं.

बिहार के बिना देश का विकास नहीं ये बात सब जानते है सिर्फ काटजू महोदय को छोड़ कर. आज देश में सबसे तेज गति से विकास करने वाला राज्य बिहार ही है. बिहार किसी पर बोझ कैसे बन सकता है जहां देश के विकास दर से उंचा विकास दर का औसत है. बिहार देश में सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस पैदा करता है जहां के हजारों इंजीनियर देश विदेश में अपना झंडा उठाए हुए है. जहां के मजदूरों के बगैर कहीं काम नही चल सकता. जहां देश में सबसे ज्यादा नौजवानों की फौज है. उस बिहार के बारे में ऐसी बाते करना कहां तक उचित है श्रीमान काटजू जी?

लेखक

सुजीत कुमार झा सुजीत कुमार झा @suj.jha

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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