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Updated: 20 अगस्त, 2017 04:55 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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गरीबी, अशिक्षा, आतंकवाद, महंगाई, भ्रष्टाचार, आंतरिक सुरक्षा समेत तमाम अलग-अलग मुद्दों पर इस देश को भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहुत उम्मीदें हैं. इस वक़्त तक देश की जनता को यही महसूस हो रहा है कि अब भाजपा और नरेंद्र मोदी ही हैं जो इन चीजों पर काम करते हुए देश को विकासशील से विकसित बनाएंगे. हम इंडिया से न्यू इंडिया की तरफ बढ़ रहे हैं. वो न्यू इंडिया जहां हमें विकास का उच्चतम रूप देखने को मिलेगा और एक नागरिक के तौर पर हम उन तमाम बाधाओं को पार कर पाएंगे जो हमारे विकास के मार्ग में बाधक हैं.

हम न्यू इंडिया की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसे में लाजमी है कि, इस विषय पर तरह-तरह के बयान आएं या फिर सरकार के नुमाइंदे हमें उस दिशा में उठाई जाने वाली अपनी उपलब्धियां गिनाएं. तो इसी क्रम में एक बयान आया है, बयान गृहमंत्री राजनाथ सिंह का है. न्यू इंडिया को ध्यान में रखकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसी बातें कह दी हैं जिनपर दिल तो विश्वास कर ले रहा है मगर दिमाग उन पर संदेह जता रहा है.

राजनाथ सिंह, न्यू इंडिया, भाजपा   एक नागरिक की हैसियत से हमें न्यू इंडिया पर कही बातों पर सवाल करने का पूरा हक है

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास जताया है कि, 'वर्ष 2022 तक आतंकवाद, नक्सलवाद और वामपंथी उग्रवाद का खात्मा हो जाएगा. राजनाथ ने ये भी कहा है कि वर्ष 2022 तक कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ आतंकवाद, नक्सलवाद और वामपंथी उग्रवाद का समाधान निकाल लिया जाएगा'. इसके अलावा 'संकल्प से सिद्धि-न्यू इंडिया मूवमेंट: 2017-2022 नए भारत का निर्माण' कार्यक्रम के मौके पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को भारत को स्वच्छ, गरीबी मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, आतंकवाद मुक्त, सम्प्रदायकिता मुक्त और जातिवाद मुक्त बनाने की शपथ दिलाई.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जो कहा है अच्छा कहा है. एक आदर्श भारतीय नागरिक और राष्ट्रवाद के चलते ये बातें हमारे लिए बेहद सुखद और उमस भरे मौसम में बारिश की ठंडी बूंदों जैसी हैं. मगर जब हम इसे एक समझदार भारतीय के नजरिये से देखते हैं तो इस कथन की हकीकत कुछ और है.

राजनाथ जी कह रहे हैं कि वर्ष 2022 तक आतंकवाद, नक्सलवाद और वामपंथी उग्रवाद का खात्मा हो जाएगा. इस कथन पर दिल ने यकीन कर लिया मगर दिमाग कह रहा है कि. 'ऐसा कैसे हो सकता है? क्या हमारी सरकार आतंकवादियों से नक्सलवादियों से और वामपंथी उग्रवादियों से कोई शांति वार्ता कर रही है. ऐसी शांति वार्ता जिसके बाद आतंकी और उग्रवादी स्वयं हथियार डाल देंगे और हाथ जोड़ के हमारे सामने खड़े होकर हमसे माफ़ी मांगेंगे. क्या सरकार कुछ ऐसे कबूतरों को ट्रेन कर रही है जिनको इनके पास भेजा जाएगा और उन कबूतरों को देखकर इनका ह्रदय परिवर्तन हो जाएगा और अपनी अंतरात्मा की आवाज के चलते ये शांति के मार्ग पर चलने लगेंगे.

बतौर गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस बात को भली भांति समझते होंगे कि न्यू इंडिया में जिन चीजों को खत्म करने के लिए इन्होंने 2022 का टाइम मांगा है वो कोई आज, कल या परसों की समस्या नहीं है. इस समस्या का सामना हमारा देश काफी लम्बे समय से कर रहा है इसके लिए पूर्व में भी कई प्रयास हुए हैं जिनका नतीजा सिफर ही निकला है. बहरहाल, अब जब राजनाथ सिंह जैसा बड़ा और जिम्मेदार नेता इस बारे में बता रहा है तो देश के एक नागरिक की हैसियत से हमारा उनसे सवाल करना लाजमी है.

राजनाथ सिंह, न्यू इंडिया, भाजपा   राजनाथ ने जो कहा है उनपर यकीन करना मौजूदा परिस्थितियों में मुश्किल है

इसके अलावा राजनाथ ने कार्यक्रम में भारत को स्वच्छ बनाने और इसे गरीबी और भ्रष्टाचार मुक्त करने की भी बात कही थी. फिर से वही बात है दिल इस पर यकीन कर ले रहा है दिमाग अब भी पशोपेश में है. जिस देश में लोग अपना कूड़ा पड़ोसी के घर के सामने डालते हों, जिस देश में नालियां और सीवर पॉलिथीन से भरी हों, जिस देश में नागरिक बिना रिश्वत अपना मृत्यु और जन्म प्रमाणपत्र नहीं बनवा सकते, जिस देश में अपने ही पासपोर्ट के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा रिश्वत ली जाती हो. जिस देश में बिना टेबल के नीचे कुछ दिए पत्ता भी न हिले उस देश में ऐसी बातें किसी ऐसे फसाने को दर्शाती हैं जिसे कहने और सुनने में आदर्शवाद का फील आता है.

यदि ये सब महज फील लेने के लिए किया जा रहा है तो फिर इसे एक कान से सुनकर दूसरे से निकाला जा सकता है मगर जब सरकार इसपर गंभीर हो तो इस पर भी हमारा फर्ज है कि हम उससे पूछें कि सिस्टम को बदलने के लिए उसके द्वारा कौन-कौन से विशेष प्रयास किये जा रहे हैं.

राजनाथ ने इस कार्यक्रम में भारत को सम्प्रदायकिता मुक्त और जातिवाद मुक्त बनाने की बात कही है. इस मुद्दे पर उनकी पार्टी की करनी और कथनी में फर्क है. इसमें विरोधाभास साफ तौर पर दिख रहा है. इसे एक उदाहरण के द्वारा समझा जा सकता है. पूर्व में राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे और पार्टी ने देश के प्रथम नागरिक के लिए रामनाथ कोविंद का नाम सामने रखा था. इसके पीछे की वजह बताते हुए पार्टी से बयान आता था कि इससे दलितों को बल मिलेगा. जिस देश में राजनीति का आधार ही धर्म और जाति हो वहां ऐसी कल्पना सिर्फ एक माया जाल है.

खैर अब बात सम्प्रदायकिता पर, जिस देश में लोग धर्म की राजनीति का शिकार हो रहे हैं, जहां लोगों को कभी मुसलमान, दलित तो कभी आरएसएस का कार्यकर्ता होने के चलते भीड़ द्वारा मार दिया जा रहा है वहां ये बातें ये एक ऐसा ख्वाब है जिनका हकीकत बनना फिलहाल तो मुश्किल है.

ये बात सभी जानते हैं और ये बात किसी से छुपी भी नहीं है कि 2019 में चुनाव हैं अब ऐसे में यदि राजनाथ यदि वही पुराना तारीफ करने और सिम्पैथी बटोरने का कार्ड खेल रहे हैं तो फिर उन्हें समझ लेना चाहिए कि अब इस देश की जनता समझदार हो गयी है और प्रश्न करने लगी है. जाहिर है वो प्रश्न करेगी और पूछेगी कि ऐसा कौन सा चिराग उन्हें हाथ लग गया है जिसके अन्दर मौजूद जिन की बदौलत वो ऐसा करने वाली है जो किसी को भी आश्चर्य में डाल देगा.  

अंत में इतना ही कि, भले ही दिल रखने के लिए ही सही राजनाथ ये बात कह रहे हों. मगर एक भारतीय होने के नाते मेरी ये प्रबल इच्छा है कि भविष्य में उनकी कही सारी बातें सही हो जाएं और मैं एक ऐसा इंडिया देखूं जो वाकई न्यू हो. ऐसा इंडिया जो विकसित हो जिसके नागरिक वो सभी सुख प्राप्त करें जिसका अधिकार उनके संविधान ने उन्हें दिया है.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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