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Updated: 13 जुलाई, 2017 04:17 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपने डिप्टी तेजस्वी यादव पर कार्रवाई करने का का दबाव बढ़ रहा है. बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर अपने पिता लालू प्रसाद यादव के साथ कथित जमीन-के बदले-होटल घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे हैं.

जनता दल (यूनाईटेड) ने तेजस्‍वी यादव से उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर 'जनता को सच्चाई बताने' के लिए कहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीयू के विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ अपनी बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई उदाहरणों द्वारा शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और उत्तरदायित्व पर जोर दिया.

कथित तौर पर, नीतीश कुमार ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहते हुए एक रेल दुर्घटना के बाद नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा देने की बात का भी उदाहरण दिया. यही नहीं उन्होंने 1990 के दशक में हवाला घोटाले के दौरान भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और उनके सहयोगी शरद यादव के इस्तीफे की याद भी लोगों को दिलाई. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान कई मंत्रियों के इस्तीफे का हवाला देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वो जीरो टॉलेरेंस पॉलिसी को फॉलो करते हैं और उस पर ही कायम रहेंगे.

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यह भी एक सच्चाई है कि बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने 13 साल के कार्यकाल में नीतीश कुमार ने अपनी साफ और भष्ट्राचार मुक्त नेता की छवि को बरकरार रखा है और यही कारण है कि उन्हें 'मिस्टर क्लीन' भी कहा जाता है.

लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलेरेंस पॉलिसी पर वो कितने प्रतिबद्ध है? उनकी जीरो टॉलेरेंस पॉलिसी पर उनके लिए यहां कुछ सवाल हैं:

1. सीबीआई ने 7 जुलाई को लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के परिसर पर छापा मारा. लेकिन 11 जुलाई तक किसी ने भी नीतीश कुमार या उनके पार्टी नेताओं से एक शब्द भी नहीं सुना. आखिर इस मुद्दे पर बोलने में चार दिन से ज्यादा वक्त क्यों लगा?

2. नीतीश कुमार ने 2013 में एनडीए का साथ छोड़कर लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के साथ हाथ मिला लिया था. क्या उन्हें पता नहीं था कि लालू प्रसाद, 2013 में भ्रष्टाचार के मामलों के लिए दोषी पाए गए थे?

3. क्या उन्हें पता नहीं था कि 12 अगस्त, 2008 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार के भूमि मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह और तत्कालीन वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने ही सबसे पहले होटल घोटाले का मुद्दा उठाया था?

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4. क्या उन्हें यह भी पता नहीं था कि उनकी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष शरद यादव और ललन सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 600 पन्नों के दस्तावेजों के साथ एक ज्ञापन सौंपा था. इसमें लालू के खिलाफ रेल मंत्री रहते हुए कथित भूमि सौदों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी?

5. 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के सबसे बड़े कारणों में से एक भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे. लेकिन फिर भी नीतीश और उनकी पार्टी ने बिहार में एक दागी पार्टी को अपना सहयोगी बनाना क्यों स्वीकार किया?

6. उनके नेता और संरक्षक, जॉर्ज फर्नांडीस ने 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट में रक्षा मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया था. तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में रक्षा खरीद के दौरान भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ था. लेकिन आखिर कैबिनेट में उन्हें फिर से शामिल क्यों किया गया जबकि उन्हें क्लीन-चिट भी नहीं मिली थी?

7. क्या उन्हें अनंत सिंह और सुनील पांडे जैसे लोगों के खिलाफ आपराधिक (भ्रष्टाचार के मामलों सहित) के बारे में कोई जानकारी नहीं थी? आखिर वे बार-बार पार्टी का टिकट क्यों लेते हैं और विधायकों बन जाते हैं?

8. नीतीश कुमार रामनाथ कोविंद का समर्थन क्यों कर हैं? जबकि खुद कोविंद ने तहलका घोटाले में फंसे बंगारू लक्ष्मण के समर्थन में अदालत में हलफनामा दिया है?

चलिए आशा करते हैं कि इन सभी सवालों का जवाब हमें जरुर मिलेगा!

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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