मोदी सरकार के तीन साल एवं अखबार के चार पन्ने
एक विज्ञापन की दुनिया है दूसरी जमीनी हकीकत है. दोनों के बीच बहुत बड़ा फासला है. सरकार अपनी असफलताओं को या तो नजरअंदाज कर रही है या इसके लिए पूर्ववर्ती सरकारों को दोषी बता रही है.
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नरेंद्र मोदी सरकार ने 26 मई 2017 को तीन साल पूरे कर लिए हैं. भाजपा सरकार ने इस मौके पर एक नया नारा दिया है- “साथ है विश्वास है, हो रहा विकास है”. इस अवसर पर देश के कई अखबारों में इसे प्रकाशित किया गया है. इस विज्ञापन के साथ मोदी सरकार ने अपनी तीन साल की कई उपलब्धियां भी गिनाई हैं.
हिंदी का एक प्रमुख अख़बार हिंदुस्तान के दिल्ली संस्करण के प्रथम-पृष्ठ यानी पहले पन्ने पर भी भारत सरकार का यही विज्ञापन “साथ है विश्वास है, हो रहा विकास" प्रकाशित किया गया है. इस विज्ञापन के 11 उप शीर्षक हैं जैसे कड़े फैसले बड़े फैसले; खुशहाल परिवार,खुशियां अपार; देश की तरक्की ईमानदारी पक्की; सबकी सुरक्षा सबका ख्याल इत्यादि. हर उप शीर्षक के अाधीन मोदी सरकार के उपलब्धियों का बिन्दुवार वर्णन किया गया है.
अखबार का फ्रंट पेज
इस समाचार पत्र के दूसरे पन्ने पर मध्य प्रदेश सरकार का विज्ञापन है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी चित्र छपा है. शीर्षक है- तीन वर्ष, विकास और विश्वास के. प्रधान मंत्री को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर भोपाल में भव्य आयोजन की घोषणा की है.
अखबार का दूसरा पन्ना
हिंदुस्तान के तीसरे पन्ने, जहां से समाचारों का आगाज होता है, और अधिकारिक रूप से अखबार का पहला पेज है, उसका हैडलाइन है 'जेवर में कार से खींचकर चार से गैंगरेप'. अन्य शीर्षक हैं- हैवानियत, पुलिस की सात टीमें और एसटीएफ जुटी, पांच किलोमीटर आने में पुलिस को दो घंटे लगे. इन शीर्षकों के तहत जेवर बुलंदशहर मार्ग पर हुई वीभत्स घटना की जानकारी दी गई है. इस पेज पर इस खबर के अलावा और कोई खबर नहीं है. हां आधे पेज पर मदर डेरी का एक विज्ञापन जरूर है.
अखबारका तीसरा पन्ना
अखबार के आधिकारिक रूप से दूसरे एवं गिनती के हिसाब से चौथे पेज पर भी केवल जेवर गैंगरेप का ही समाचार है. शीर्षक हैं, दरिंदगी के दो घंटे; अच्छा होता बदमाश हम चारों को मार देते; सारा पैसा- जेवर ले लो, लेकिन हमें छोड़ दो; भैया अल्लाह के लिए हम पर रहम करों; साहब बदमाशों के सिर पर शैतान सवार था; एक्सल मार गिरोह कोहराम मचा रहा; दो जिलों को जोड़ने वाले मार्ग पर लुटेरों का राज; वारदात ने ताजा कर दिए 10 माह पहले के जख्म इत्यादि. इस पेज पर केवल इस खबर एवं इस से सम्बंधित खबरों को ही छापा गया है.
अखबारका चौथा पन्ना
पहले दो पेज देख के लग रहा है कि वाकई सरकार ने तीन सालों में जादू कर दिया. कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है. देश का चर्तुमुखी विकास हो रहा है. और साथ ही-साथ लोगों का सरकार पर विश्वास बढ़ता जा रहा है. बाद के दो पेज से लगता है कि सरकार के तमाम वादों के बावजूद देश को जंगल राज से मुक्ति नहीं मिल पाई है. जिसको जहां मर्जी लूट-पाट कर रहा है, बलात्कार कर रहा है, हत्या कर रहा है. कानून का डर कहीं भी देखने को नहीं मिल रहा है. एक विज्ञापन की दुनिया है दूसरी जमीनी हकीकत है. दोनों के बीच बहुत बड़ा फासला है. सरकार अपनी असफलताओं को या तो नजरअंदाज कर रही है या इसके लिए पूर्ववर्ती सरकारों को दोषी बता रही है.
अभी भी समय है, सरकार उस फासले को पाट सकती है. और अगर समय रहते यह फासला नहीं पटा तो जनता सरकार को धोबिया पाट मारकर चारों खाने चित्त कर देगी. सरकार को अपनी सफलताओं के साथ विफलताओं को भी जनता के सामने रखना चाहिए. अगर वो जनता को यह बताए कि वह कहां-कहां फेल हुई है एवं विफलताओं के निराकरण करने का इसका रोड मैप क्या है तो शायद उन लोगों का भी सरकार पर विश्वास जग जाएगा जिनका अब तक नहीं है. जिनका है वो और दृढ हो जाएगा. अन्यथा यह 'विश्वास' अटल बिहारी वाजपेयी के फील गुड एवं मनमोहन सिंह सरकार के हर हाथ शक्ति, हर हाथ तरक्की के जैसा होकर ही रह जाएगा.
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