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Updated: 09 जुलाई, 2017 12:47 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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हम भारतीयों की एक खास बात है वो ये कि हम छोटी-छोटी बातों पर तो ध्यान नहीं देते मगर इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं जिसको सुनकर किसी के भी होश उड़ जाएं. मैं इंटरनेट पर कुछ खोज रहा था तभी मेरी नजर एक छोटी सी खबर पर पड़ी. खबर दिल्ली पुलिस से सम्बंधित थी जिसके अनुसार अब एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से दिल्ली पुलिस क्राइम कंट्रोल करेगी.

मैं जब-जब इस खबर के विषय में सोच रहा हूं मुझे केवल हंसी आ रही है. हंसी इसलिए कि ये एंड्राइड मोबाइल में बीबीएम इंस्टाल करके उसे चलाने जैसा है. किसी 10 X 6 वाले कमरे में डबल बेड रखने जैसा है. कुल मिलाकर मेरी नजर इसे एक बेमतलब का काम मानती है. ये उतना ही बेमतलब है जितना डॉस वाले पुराने कंप्यूटर को विंडोज 10 में अपग्रेड करना. ये बेमतलब इसलिए भी है कि जो पुलिस आज भी अपने को शोले वाला जेलर समझती हो और उसी अंदाज में काम करती हो उसके लिए इतनी मेहनत किसलिए.

दिल्ली पुलिस, दिल्ली, क्राइम नए सॉफ्टवेयर लाने से बेहतर है दिल्ली पुलिस अपनी बुनियाद सुधार ले

आप इसे खुद पर रखकर देखिये और महसूस कीजिए शायद आप भी इस बात से सहमत हो जाएं. घर के गेट के अन्दर खड़ी बाइक से लेकर छत पर रखी पानी की मोटर या फिर पर्स और कुछ जरूरी डॉक्युमेंट्स तक कुछ न कुछ चोरी होने के मामले आपने अवश्य ही देखे होंगे, या फिर उन्हें अनुभव किया होगा.

अगर कभी आपने किसी मामले के लिए अपने स्थानीय थाने का चक्कर लगाया हो तो वहां ऐसा बहुत कुछ आपको मिला होगा जिसने आपको हैरत में डाला होगा. थाना चाहे नई दिल्ली का हो या सुदूर बुंदेलखंड की तहसील का सबकी स्थिति लगभग समान है. ऊहापोह यहां भी है और यही स्थिति वहां भी देखने को मिलेगी. जाहिर है इस अजीब सी स्थिति से न सिर्फ आप विचलित बल्कि परेशान भी हुए होंगे.

अवश्य ही वहां मेज पर फाइलों का बंडल देखकर, फाइलों के पीछे मुंह में पान भरकर तोंद निकाले बैठे दरोगा जी को देखकर आपका दिल घबराया होगा. मानिये न मानिए मगर जिस देश में एक एफआईआर लिखाने पर वादी को प्यास लगने से लेकर पसीना तक सब आ जाता हो, वहां एडवांस सॉफ्टवेयर की बात किसी को भी गुदगुदी दे सकती है.

जिस देश में चालान से ज्यादा व्यक्ति थाने और कोर्ट जाने से डरता हो वहां पुलिस...वो भी दिल्ली पुलिस को एडवांस सॉफ्टवेयर देना मीर का ख्याल है, खय्याम की रुबाई है, कबीर का दोहा है, तुलसी की चौपाई है. बेहतर होता अगर दिल्ली पुलिस पहले अपनी बुनयादी खामियों को दूर कर उनमें सुधार करती.

जंग लगी 303 राइफलों और धूल और मकड़ी के जाले लगी फाइलों के बीच एडवांस सॉफ्टवेयर न सिर्फ एक छलावा है, बल्कि पुलिस के लिए अपनी ही हंसी उड़ाने का एक माध्यम भर है. अंत में यही कि एक आम इंसान और इस देश के नागरिक के तौर पर क्राइम कंट्रोल करने के लिए दिल्ली पुलिस का ये अपग्रेडेशन जहां तरफ सुखद और तारीफ के काबिल है तो वहीं इसके द्वारा कुछ प्रश्नों का उठना भी स्वाभाविक है.

पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब एडवांस सॉफ्टवेयर वाली दिल्ली पुलिस, लग रहा है कि भगवान ने भी ठान लिया है कि वो मुझे अच्छे दिन दिखाकर ही मानेंगे.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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