New

होम -> ह्यूमर

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 अक्टूबर, 2017 04:43 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

8 नवम्बर 2016 की वो रात थी. कमरे पर टीवी चल रहा था. अचानक टीवी पर मोदी जी आए, और उन्होंने कह दिया कि पुराने 500 और 1000 के नोट अब नहीं चलेंगे. साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया कि जल्द ही सरकार 2000 और 500 रुपए का नोट लेकर आएगी. उस दिन, जिस समय मोदी जी टीवी स्क्रीन पर बोल रहे थे तब वो बहुत सीरियस प्रतीत हो रहे थे. वो इतने सीरियस थे कि उनकी सीरियसनेस से मैं घबरा गया. समझ नहीं आया आने वाला वक्त क्या गुल खिलाएगा. दिन बीता उसके बाद कई और दिन बीते. मैंने अपने ही पैसों के लिए अपने को लाइन में खड़ा पाया. मैं अपने सारे एटीएम कार्ड लेकर एटीएम की लम्बी-लम्बी लाइनों में खड़ा होता और या तो खाली हाथ लौटता या फिर मैजेंटा कलर के एक दो हजार के नोट के साथ.

आरबीआई, आरटीआई, नोटबंदी, नोट    नोटबंदी के बाद आज भी चेंज मिलना एक बेहद मुश्किल काम है

उन पलों को मैं आज भी जब याद करता हूं तो महसूस होता है कि शायद उस वक़्त मेरी बेबसी देखकर 2000 के नोट में छपी गांधी जी की फोटो भी मुस्कुराती होगी. खैर आज ये बातें इसलिए भी जहन से निकल कर बाहर आ गयीं क्योंकि खबर है कि आरबीआई ने 500 रुपए और 2000 रुपए के नए नोटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वपूर्ण योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' का लोगो छापने के निर्णय पर जानकारी देने से इनकार कर दिया. आरबीआई ने इसके लिए सुरक्षा एवं अन्य कारणों का हवाला दिया. बताया जा रहा है कि ये जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी थी. बताया ये भी जा रहा है कि रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार की मुहिमों के प्रचार समेत नोटों पर विज्ञापन छापे जाने संबंधी दिशानिर्देशों की नकल देने से भी इनकार कर दिया है.

अब आरबीआई अगर ये नहीं बताना चाह रहा है कि नोट पर लोगो क्यों लगा है तो इससे मुझे कोई मतलब नहीं. मेरी अपनी अलग परेशानियां हैं. आज भी जब एटीएम से निकलकर 2000 का नोट मेरे हाथ में आता है तो मेरी जान सूख जाती है. नोट पकड़ते ही मैं लगभग रोने की स्थिति में आ जाता हूं. नहीं आप बिल्कुल भी ये मत सोचिये कि 2000 का मैजेंटा कलर का नोट कहीं से भी कटा फटा या उसमें लगी चिप मेड इन चाइना होती है.

आरबीआई, आरटीआई, नोटबंदी, नोट    कह सकते हैं कि चेंज की समस्या से आज हर भारतीय परेशान है

न ही आपको इस बात से परेशान होना चाहिए कि नोट में कोई अन्य तकनीकी समस्या होती है. नोट देखकर मेरे दुखी होने का कारण कुछ और है. इस नोट के मिलने के बाद पर्सनली मुझे समाज और मनुष्य एक सामाजिक प्राणी वाली थ्योरी से नफरत हो जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि चाहे 10 रुपए का सामान लो या फिर 110 रुपए का, साधारण आदमियों से लेकर दुकानदारों तक किसी के पास भी इस 2000 के मेजेंटा कलर वाले नोट का चेंज नहीं मिलता.

व्यक्तिगत रूप से मुझे किसी से भी शिकायत नहीं है. न ही मुझे इससे मतलब है कि नोट में गांधी जी ने गोल चश्मा क्यों पहना है और चौकोर क्यों नहीं पहना है. लोगो की जानकारी लेना बड़े लोगों की बातें हैं मैं आम आदमी हूं. वो आम आदमी जो इतना चाहता है कि जब सरकार ने ये नोट लांच कर ही दिया है तो वो उसके चेंज का भी इन्तेजाम करे.

अंत में बस इतना ही कि हम भारतीयों में ये बेहद कॉमन बीमारी है कि हम उन बातों और चीजों पर अपना समय बर्बाद करते हैं जिनसे हमें कोई मतलब नहीं. मगर उन बातों को सिरे से खारिज कर देते हैं जो हमसे, हमारे आस पास से जुड़ी होती हैं. काश के मेरी ये आंखें वो दिन भी देख पाएं जब मैं दुकान पर 2000 का नोट लेकर जाऊं और दुकानदार हंसते, मुस्कुराते हुए मुझे उस 2000 के नोट का चेंज दे दे.   

ये भी पढ़ें -

जितनी सिक्योरिटी 200 के नोट को मिली उसकी आधी से भी मेरा बुढ़ापा संवर सकता था

जानिए, पुराने हजार और 500 के नोटों का क्या हुआ

सरकार ने बदला 500 रुपए का LOOK, जानिए क्‍यों किया ऐसा...

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय