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Updated: 10 दिसम्बर, 2016 02:36 PM
भुवन भास्‍कर बवाड़ी
भुवन भास्‍कर बवाड़ी
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अभी सोना खरीदने की सही समय नहीं है. इसकी कई ऐसी वजह हैं जिसके आधार पर हम यह बात कह सकते हैं. नोटबंदी के बाद सोने के रेट में कमी देखी गई है. यह एक अकेली वजह नहीं है जिसके आधार पर सोने के रेट में कमी होने की उम्मीद है, बल्कि और भी बहुत से कारण है जब हमें थोड़ा इंतजार कर सोना खरीदना चाहिए.

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 सोना खरीदने के लिए थोड़ा इंतजार करना ही सही

1. सोने की कीमतों में तेजी का एक कारण वैवाहिक मौसम है. शादी का समय होने के कारण लोग जरूरत से थोड़ा अधिक गहने खरीदते हैं. इस दौरान कुछ लोग दिखावा करने के लिए तो कुछ लोग प्रचलित रीति-रिवाजों के मद्देनजर गहनों की जरूरत से ज्यादा खरीददारी कर बैठते हैं. यह एक तरह का निवेश ना होकर भावनात्मक खर्च होता है. ऐसे लोगों को सलाह है कि अभी जरूरत के मुताबिक ही जेवर खरीद दें. कुछ समय रूककर जब कीमतें कम हो जाएंगी तब खरीद सकते हैं. शादी-विवाह की वजह से सोने में तेजी देखने को मिलती है, लेकिन यह तेजी इतनी अधिक नहीं होती है जितनी सोने में तेजी के पीछे अन्य कारण भी हैं.

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2. दरअसल, लोग काले धन को सफेद करने के लिए भी बाजार में सोने के दाम में तेजी के लिए जिम्मेदार हैं. नोटबंदी के बाद सरकार ने सोने के खरीददारों पर नज़र रखनी शुरू कर दी है, जिससे सोने की कीमतों में इसका असर देखने को मिल रहा है. 8 नबंवर तक सोना तीस हजार रूपये प्रति दस ग्राम (एक तोला) के आसपास था वही दिसंबर में 28 हजार के आसपास पहुंच गया है. अभी तक काले धन से कमाये गए धन से सोना खरीद लिया जाता था. इसी काला-बाजारी का नतीजा था कि नोटबंदी के बाद सोना 50 हजार प्रति दस ग्राम से ऊपर चला गया था.

एक बात और, सोना खरीदते समय किसी तरह का कोई आय का स्रोत बताने की जरूरत नहीं होती है. इस सोने को किसी भी गोल्ड फाइनेंस करने वाली कंपनियों के पास जमाकर लोन ले लेते थे. लोन को अदाकर इस पैसे को सफेद किया जाता है. अब जब सरकार ने इस पर नजर रखनी शुरू कर दी है तो सोने के दाम में कमी देखने को मिली है. उम्मीद है कि सोने के रेट में दिसंबर के बाद काफी कमी आ सकती है.

3. सरकार को सोना आयात करने से बहुत सारा व्यापार घाटा उठाना पड़ता है. वैसे भी देखा जाए तो सोने से कोई उत्पादकता नहीं बढ़ती है, बल्कि यह तो एक डेड एसेट्स (मृत परिसंपत्ति) है. इस सोने को घर में रखने से किसी तरह का कोई ब्याज नहीं मिलता है. अगर बिस्कुट के अलावा सोने को गहने की रूप में खरीदा गया तो मेकिंग चार्ज भी अदा करना पड़ता है. साथ ही जब आप इसे बचने जाते हैं तो मैकिंग शुल्क, स्टोन आदि घटाकर शुद्ध सोने का ही मूल्य आपको दिया जाता है.

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इस तरह देखेंगे तो सोना शौक के लिए तो लिया जा सकता है पर निवेश के लिहाज से नहीं. अगर इसे बैंक के लॉकर में रखा जाए तो आपको बैंक लॉकर शुल्क अदा करना पड़ता है. सरकार ने सोने की खरीद से लोगों को मोह भंग करने के लिए ‘स्वर्ण जमा योजना’ शुरू की है. इस योजना से बैंक लॉकर लेने पर शुल्क बच जाएगा. साथ ही ‘स्वर्ण जमा योजना’ से सोने की खरीद करने पर आपको सरकार ब्याज भी देती है.

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शौक के लिए तो खरीद सकते हैं, निवेश के लिहाज से नहीं

4. सोने के रेट अभी कम होने के पीछे वैश्विक कारण भी हैं. सोने का सबसे ज्यादा आयात करने वाले देश पहला चीन और दूसरा भारत हैं. भारत में नोटबंदी और फिर सोने के खरीददारों पर सरकार की नज़र होने से कीमतें कम होने लगी है. इसके अलावा इसी बीच चीन ने भी अपने देश में सोने के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. सोने की सर्वाधिक खपत करने वाले दोनों देशों के कदमों से वैश्विक स्तर पर दामों में और कमी आएगी.

5. भारत सरकार के घर में रखे सोने की सीमा को स्पष्ट करते हुए आए स्पष्टीकरण से भी सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिलने की उम्मीद है. नियम तो पहले भी था लेकिन आपके सोना खरीदने-बेचने का रिकार्ड सरकार के पास नहीं पहुंच पाता था. अब जब सोने की खरीद और ब्रिकी के लिए पेन नंबर जरूरी कर दिया गया है, सरकार के लिए इसका ब्योरा निकालना आसान हो गया है. यह भी सोने की कीमत कम होना का एक कारण होगा.

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6. राजस्व विभाग ने सीमा शुल्क विभाग को जब्त किए गए सोने की तत्काल बिक्री करने के लिए कदम उठाने के लिए कहा है. यह कदम इसलिए उठाने के लिए कहा गया है क्योंकि दिल्ली एयरपोर्ट पर सीमा शुल्क विभाग की तिजोरी से 67 किलोग्राम सोना गायब हुआ है. अब जब सरकार सीमा शुल्क विभाग को जब्त सोने की बिक्री करेगी तो बाजार में सोना पहले अधिक मौजूद होगा. इससे भी बाजार में सोने के रेट कम होने की उम्मीद है.

लेखक

भुवन भास्‍कर बवाड़ी भुवन भास्‍कर बवाड़ी @bhuwanbawari

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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