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Updated: 28 जून, 2017 07:05 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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जीएसटी के आने के बाद आपकी रोजमर्रा की जरूरतों का सामान थोड़ा महंगा और थोड़ा सस्ता हो जाएगा. अगर आपको लग रहा है कि महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ेगी तो ऐसा नहीं होगा. आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में जीएसटी से क्या फर्क पड़ेगा जानिए यहां.....

कोल्डड्रिंक: 50 रु. की बॉटल 54 रु. की होगी

22,000 करोड़ की कोल्ड ड्रिंक इंडस्ट्री को इस मामले में सबसे ज्यादा फर्क पड़ेगा. अभी जो सारे टैक्स मिलाकर 32% लगता है वो अब 40% लगेगा. मतलब यकीनन कोल्डड्रिंक महंगी होंगी. इसका मतलब पहले जो कोल्डड्रिंक -  वैट, ऑक्ट्रॉय, एक्साइज, सेस आदि मिलाकर 50 रुपए की होती थी वो अब जीएसटी के बाद 54 रुपए की हो जाएगी.

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कॉफी: 100 रु. 50 ग्राम का कॉफी पैकेट 97-95 रु. के बीच होगा

अगर आप बाहर कॉफी पीने जा रहे हैं तो ये पूरी तरह से आपके रेस्त्रां पर निर्भर करता है कि आपको कितने पैसे देने हैं, लेकिन कॉफी या चाय का पैकेट आप खरीदते हैं तो उसमें थोड़ा बदलाव आएगा. ये सस्ती हो जाएगी.

कैसे?

मसलन आपने दो पैकेट खरीदे अपने और उनकी कीमत 50 रुपए प्रति पैक है. तो कॉफी में कोई एक्साइज ड्यूटी अभी नहीं लगती है, इसके अलावा, 5% वैट और गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब में 3-6% तक ऑक्ट्रॉय टैक्स लगता है. जहां ऑक्ट्रॉय नहीं लगता वहां भी प्रोडक्शन के समय थोड़ा ना थोड़ा टैक्स लगता ही है. तो कुल मिलाकर अभी तक 7%-8% के आस-पास कॉफी पर ड्यूटी लगती थी तो मतलब एक पैकेट पर 2.5 से 5 रुपए तक का टैक्स आप देते थे.

अब कॉफी और इंस्टेंट कॉफी का पैकेट 2.5-5 रुपए कम में मिलेगा यानी आपका बजट यहीं 100 रुपए की जगह 97-95 रुपए तक हो जाएगा.

बिस्किट: 10 रु. का पैक एक रु. सस्‍ता या महंगा

बिस्किट पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा अभी 15 से 21% टैक्स लगता है ये 18% तय किया गया है. ये ब्रांडेड बिस्किट पर लगेगा यानी बेकरी वगैराह से खरीदे गए बिस्किट सस्ते होंगे. हालांकि, कुछ तरह के ब्रांडेड बिस्किट जिनमें 15% टैक्स लगता था वो महंगे हो सकते हैं. हालांकि, 100 रुपए प्रति किलो से ऊपर का बिस्किट सस्ता होगा.

उदाहरण के तौर पर....

अगर आपके बिस्किट का पैकेट 10 रुपए का है तो उसपर लगभग 2-4 रुपए टैक्स लगा होगा. आने वाले समय में ये 9 रुपए का हो सकता है. अगर उसपर 15% टैक्स लगता था तो वो महंगा हो जाएगा यानी 11 रुपए का हो जाएगा.

फ्लाइट: दिल्ली-मुंबई फ्लाइट की 3000 रुपए की टिकट 2960 रुपए की हो जाएगी...

हवाई सफर में इकोनॉमी क्लास में बहुत कम अंतर होगा. मौजूदा टैक्स रेट 5.80-6% का है और जीएसटी लागू होने के बाद ये 5% हो जाएगा. इसके अलावा, बिजनेस क्लास वाले यात्रियों के लिए सफर महंगा हो जाएगा. अभी टैक्स रेट 9% का है और ये 12% हो जाएगा.

उदाहरण के तौर पर...

अगर किसी फ्लाइट टिकट का बेस चार्ज 1300 रुपए है तो उसपर पहले 78 रुपए सर्विस टैक्स लगता है फिर 7 रुपए कृषि कल्याण सेस. इसके बाद 150 रुपए पैसेंजर सर्विस फीस, इसके अलावा, सीट फीस, एयरलाइन फ्यूल चार्ज यूजर डेवलपमेंट फीस सब मिलाकर ये अगर 3000 होता है तो जीएसटी के बाद इकोनॉमी क्लास के लिए ये 2960 रुपए तक पहुंच जाएगा.

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ट्रेन टिकट: भोपाल से दिल्ली तक का AC टिकट 10 रुपए महंगा होगा...

जहां तक ट्रेन का सवाल है वहां एसी का किराया बहुत कम बढ़ेगा. मौजूदा रेट 4.5% का है और जीएसटी के लगने के बाद ये 5% हो जाएगा. सर्विस टैक्स सिर्फ AC और फर्स्ट क्लास के डब्बों में लगता है तो स्लीपर क्लास और जनरल को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

तो इस हिसाब से अगर पहले भोपाल से दिल्ली तक की कोई टिकट 2000 रुपए की पड़ती थी तो अब वो 2010 रुपए की पड़ेगी.

कैब: हर 10 किलोमीटर पर पड़ेगा 1 रुपए का अंतर

आपकी कैब राइड अब कुछ हद तक सस्ती हो जाएगी जीएसटी के बाद. सरकार ने इसका रेट भी 6% से घटाकर 5% कर दी है.

तो अगर आप मिनी कैब बुक करते हैं जिसका बेस फेयर 50 रुपए है और उसके बाद 10 किलोमीटर गए थे तो 8 रुपए के हिसाब से 80 रुपए लगेगें. मतलब 140 रुपए किराए पर पहले 8.4 रुपए टैक्स लगता था. अब यही राइड 149 रुपए की जगह 147 रुपए लगेगी. अब अगर आपका बिल इससे ज्यादा आता है यानि 300 रुपए के आस-पास तो फर्क 3 रुपए का हो जाएगा यानि जहां पहले 318 का बिल लगता था वो अब 315 रुपए लगेगा.

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होटल रूम: 2800 रुपए के कमरे के देने होंगे 2815 रुपए

1 जुलाई से उन होटल पर जिनमें 1000 रुपए से कम किराया लगाया जाता है कोई टैक्स नहीं लगेगा. 1000 से 2500 रुपए प्रति दिन किराया लेने वाले होटल 12% टैक्स लेंगे और 2500 से 7500 रुपए प्रति दिन किराया लेने वाले होटल 18% टैक्स लेंगे. 7500 से ऊपर वाले होटल 28% जीएसटी अट्रैक्ट करेंगे.

फिलहाल लग्जरी टैक्स, वैट और सर्विस टैक्स (कुछ जगह सर्विस चार्ज भी) लगता है. लग्जरी टैक्स अलग-अलग राज्यों में अलग है. टैक्स होटल बिल के 60% हिस्से पर ही लगता है ना कि पूरे किराए पर.

उदाहरण के तौर पर...

जीएसटी असली रूम रेंट पर लगेगा. इसका मतलब अगर मेरा होटल बिल 2500 पहले था और मैंने महाराष्ट्र के किसी होटल में बुकिंग करवाई थी तो मुझे अब उस होटल चार्ज पर 300 रुपए टैक्स देना होगा जो पहले 285 से 315 रुपए (अलग-अलग होटल के हिसाब से 19-25% तक टैक्स लगता था 60 प्रतिशत बिल के हिस्से पर.) देना होता था.

गौर करने वाली बात ये है कि 11 जून को हुई जीएसटी मीट में सरकार की तरफ से होटल टैक्स को बदला गया है.

मोबाइल रिचार्ज: 100 रु. में 85 की जगह 82 रु. का बैलेंस मिलेगा

जीएसटी के बाद रीचार्ज और फोन बिल महंगा हो जाएगा इसके लिए तैयार रहिए. बिल में जो टैक्स अभी तक 15% लगता था अब वही 18% लगेगा.

कैसे महंगा होगा?

अगर आप अभी 1000 रुपए का बिल देते हैं तो उसमें 14% सर्विस टैक्स, स्वच्छ भारत सेस 0.50% और कृषि कल्याण सेस 0.50% लगता है. तो कुल ये 15% लगता है. यानी 1000 रुपए के बिल पर 150 रुपए टैक्स लगता है. अब जीएसटी के बाद ये 180 रुपए लगेगा यानि 30 रुपए ज्यादा.

यही गणित प्रीपेड रीचार्ज के साथ लागू होगा. जहां अभी 100 रुपए के रीचार्ज पर आपको 85 रुपए का टॉकटाइम मिलता है जीएसटी के बाद आपको प्रीपेड रीचार्ज पर 82 रुपए का टॉकटाइम मिलेगा. और इसी तरह से आपके ब्रॉडबैंड इंटरनेट का बिल बढ़ जाएगा.

ब्यूटी पार्लर : 350 का हेयरकट 380 रुपए का हो जाएगा...

जिम और ब्यूटी सर्विसेज पर 18% टैक्स लगेगा. अब ये अगर देखा जाए तो बाकी सर्विसेज की तरह महंगी हो जाएंगी. ये सीधा वैसा ही असर पड़ेगा जैसा बैंकिंग सर्विसेज पर पड़ता है.

इसका मतलब अगर मैं एक हेयरकट के पहले 350 रुपए देती थी तो अब वो 380 रुपए हो जाएंगे.

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पेट्रोल/डीजल: जीएसटी के दायरे से बाहर

डॉक्टर की फीस: जीएसटी के दायरे से बाहर

स्कूल फीस: जीएसटी के दायरे से बाहर

न्यूजपेपर: जीएसटी के दायरे से बाहर

दूध: जस का तस

दूध के रेट में कोई बदलाव नहीं आएगा. अगर पहले आप 45/लीटर का दूध खरीदते थे तो उसमें पहले भी वैट आदि नहीं लगता था और अभी भी उसे 0% रेट में रखा गया है...

हां मिल्क पाउडर जरूर कॉफी की तरह ही सस्ता हो जाएगा. उसे भी 5% के स्लैब में रखा गया है.

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शराब: जीएसटी के दायरे से बाहर (सभी राज्‍य इस पर फैसला लेने के लिए स्‍वतंत्र हैं)

स्‍कूल फीस - डॉक्‍टर की फीस :-

स्कूल फीस और मेडिकल सर्विसेज को जीएसटी से बाहर रखा गया है, लेकिन अगर ये कहा जाए कि जीएसटी के आने से इनमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा तो ये कहना गलत है. भले ही दवाइयों पर टैक्स कम हो, लेकिन रॉ मटेरियल पर है, भले ही हॉस्पिटल पर टैक्स ना लगे, लेकिन अपोलो हास्पि‍टल्स के चेयरमैन प्रताप सी रेड्डी ने कहा कि अगर हेल्थकेयर लागत दो फीसदी तक बढ़ती है तो अस्पताल उसे अपने स्तर पर वहन करने की स्थिति में होंगे लेकिन उससे अधिक बढोतरी होने पर उसका बोझा मरीजों पर डालने के सिवाए कोई विकल्प नहीं रहेगा.

हॉस्पिटल के लिए जीएसटी में कोई प्रावधान नहीं है लेकिन कुछ उत्पादों व कुछ सेवाओं पर 15-18 फीसदी जीएसटी दर का बोझ सीधे हॉस्पिटल पर पड़ेगा. इसलिए जीएसटी के लागू होने के बाद अस्पतालों के लिए लागत लगभग दो फीसदी अधिक रहेगी. अपोलो के मुताबिक अगर (लागत में) बढोतरी दो फीसदी तकहोती है तो अस्पताल इसे वहन कर लेंगे लेकिन अगर यह वृद्धि तीन या चार फीसदी रही तो देश में इलाज कराना महंगा हो जाएगा.

इसी तरह से अगर स्कूल फीस की बात करें तो उसमें भी ऐसा ही कुछ-कुछ बदलाव देखने को मिलेगा. हालांकि, वो इतना ज्यादा नहीं होगा कि आपको बहुत फर्क पड़े.

( डिस्‍क्‍लेमर: सभी वस्‍तुओं की कीमतों का आंकलन घोषित की गई GST दरों के हिसाब से किया गया है. अलग-अलग वस्‍तुओं की परिवहन और अन्‍य लागत के अंतर के कारण अलग-अलग राज्‍यों में इन कीमतों में अंतर हो सकता है. इसके अलावा कुछ वस्‍तुओं की GST दरों को लेकर भ्रम की स्थिति है, जिसे सरकार जल्‍द ही दूर कर लेने का दावा कर रही है )

3 मिनट के वीडियो में समझें इसे आसानी से...

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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