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Updated: 03 दिसम्बर, 2016 11:46 AM
प्रवीण झा
प्रवीण झा
  @vamagandhijha
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मेरे विभाग में 18 महिलाएं और तीन पुरुष हैं. सोने की एक पतली चेन बस मेरे गले में है. सोना तो छोड़िए, चांदी-पीतल कुछ नहीं है. न ही अब तक किसी 'ज्वेलर्स' की दुकान देखी है शहर में.

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दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक नॉर्वे के पास सोना नहीं है

विश्व के सभी धनी देश जैसे अमेरिका, इटली, फ्रांस, या अपना पड़ोसी चीन काफी सोना बैंक में रखते हैं. इनका 'गोल्ड-रिजर्व' बहुत बड़ा है. नॉर्वे के बैंकों ने अपना सारा सोना (3.5 टन)2004 में बेच दिया. अब बस 7 souvenir पीस बचे हैं, और एक पीस संग्रहालय में है. यूरोप के सबसे धनी देशों में एक नॉर्वे के पास सोना ही नहीं है.

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मुझे यह तर्क लगा कि यह तेल के भरोसे हैं, इसलिए सोना नहीं रखते. पर अरब में तो तेल भी है और सोना भी खूब है. भला कोई देश जिसके बैंक में 'गोल्ड' ही नहीं, एक 'वेलफेयर स्टेट' कैसे हो सकता है? हर चीज मुफ्त कैसे कर सकता है?

औरतें गोल्ड नहीं पहनती, लोग नगद नहीं रखते, और कहते हैं करोड़पतियों का देश है. मतलब यह देश कैशलेस और गोल्ड-लेस है, अब आप सोचेंगे कि ये कैसे संभव है कि बिना सोने के देश इतना अमीर हो.

असल में नॉर्वे को सोने से एलर्जी नहीं है. दरअसल मुद्रा का रेफरेंस भारत या अन्य देशों में सोने की वैल्यू है. जबकी यूरोप में 'यूरो' ही रिफरेंस है, इसलिए सोना बस एक धातु है, बैंक नहीं रखती.

बाकी नॉर्वे एक समानाधिकारवादी समाज है, जहां सबसे अमीर व्यक्ति भी हेलीकॉप्टर से नहीं ट्रेन से सफर करते हैं. यहां दिखावेपन वालों की बड़ी फजीहत होती है. सोने के गहने या हीरे की अंगूठी नहीं चलती. लोग गर्लफ्रेंड या पत्नी को कई चीजें देते हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट वगैरह, पर सोना, गाड़ी या कीमती जूते वगैरा नहीं देते. यहीं नहीं, स्वीडन या डेनमार्क में भी ऐसा ही है. ये देश सदियों से अपने को बाकी विश्व से अलग मानते रहे हैं.

लेखक

प्रवीण झा प्रवीण झा @vamagandhijha

लेखक ब्लॉगर और रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं.

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