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Updated: 13 दिसम्बर, 2016 02:09 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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अमर्त्य सेन से लेकर कौशिक बसु तक तमाम अर्थशास्त्री और तमाम रेटिंग एजंसियां नोटबंदी से अर्थव्यवस्था और भारत के विकास दर का बाजा बज जाने की आशंका जता रहे हैं तो बीबीसी से लेकर इकोनॉमिस्ट तक ने इसके खिलाफ लिखा है. इन आलोचनाओं का सामना करने आरएसएस से जुड़े आर्थिक विचारक एस. गुरुमूर्ति सामने आये. इंडिया टुडे न्यूज़ चैनल पर राहुल कंवल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2000 रुपये के नोट अगले 5 साल में बंद हो जाएंगे. इनका मानना है कि सरकार ने नोटबंदी के चलते होने वाली कैश की कमी से निपटने के लिए 2000 के बड़े नोट को छापने का फैसला लिया था. गुरुमूर्ति ने यह भी कहा कि भविष्य में 500 का नोट ही सबसे बड़ी करंसी होगा.

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  2000 रुपये के नोट अगले 5 साल में बंद हो जाएंगे:एस. गुरुमूर्ति

एस. गुरुमूर्ति संघ परिवार से जुड़े आर्थिक मामलों के सबसे बड़े विद्वानों में से जाने जाते हैं. 2009 में भाजपा के जब काले धन पर एक टास्कफोर्स बनाया था तो गुरुमुर्ती उसके अहम् सदस्य थे. ऐसा माना जाता है की भाजपा के नेता भी महत्वपूर्ण आर्थिक मसलों में उनकी सलाह जरूर लेते हैं. इस नाते उनका यह कहना कि 2000 रुपये के नोट अगले 5 साल में बंद हो जाएंगे बहुत महत्तपूर्ण है. अब सवाल ये उठता है की उन्होंने ऐसा क्यों कहा? इससे सरकार एवं भाजपा को क्या फायदा होगा? क्या इस कथन से नुकसान भी हो सकता है?

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सबसे पहले नजर डालते हैं एस. गुरुमूर्ति के इस कथन से होने वाले फायदों पर.

2000 रुपये के नोट की आलोचना का जवाब

मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद किए जाने पर कहा था कि इससे भ्रष्टाचार से निपटने में मदद मिलेगी. इस पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए कहा था कि यदि 1000 रुपए के नोट से भ्रष्टाचार बढ़ रहा था, तो 2000 रुपए के नोट से भ्रष्टाचार कैसे खत्म हो जाएगा. संघ परिवार को लगता है की एस. गुरुमूर्ति के द्वारा यह कहने से की ये  नोट अगले 5 साल में बंद हो जाएंगे, विरोधी दलों के इस धारदार आलोचना को थोड़ा भोथरा कर देगी.  2000 के नोटों की जमाखोरी रुकेगी

हाल फिलहाल में हुई छापामारी में अनेक जगह पर 2000  के नोटों का जखीरा मिला है. ऐसा माना जा रहा है कि लोग इन नोटों की जमाखोरी कर रहे हैं. एस. गुरुमूर्ति के इस वक्तव्य से कि ये नोट अगले 5 साल में बंद हो जाएंगे, जो लोगों की इस प्रवृत्ति पर रोक लगाएगी. लोग इसको रखने से डरेंगे. उनको हमेशा ये आशंका रहेगी की ये नोट भी अमान्य हो सकते हैं.

पर ऐसा नहीं है की एस. गुरुमूर्ति  के इस वक्तव्य से सरकार एवं भाजपा  को केवल फायदा ही होगा. ये डैमेज कण्ट्रोल करने के बजाए और  नुकसान भी कर सकता है.

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सरकार के विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह

रिजर्व बैंक गवर्नर का हस्ताक्षरित हर सरकारी नोट तो वादा करता है कि वह धारक को अमुक राशि देगा. पर नोटबंदी के निर्णय से लोगों में उस वादे के प्रति संशय होने लगा है. लोग रुपये के विश्वसनीयता पर भी शक करने लगे हैं. इसी बीच एस. गुरुमूर्ति के द्वारा यह कहने से कि ये नोट अगले 5 साल में बंद हो जाएंगे ये संशय और गहरा हो जायगा. इसका असर हमारे अर्थव्यवस्था एवं  उद्योग पर भी नकारात्मक होगा.

क्या नोट हटाने या चलने का फैसला संघ ले रहा है?

नोटबंदी के बाद विपक्ष ये पूछ रहा है कि यदि 1000 रुपए के नोट से भ्रष्टाचार बढ़ रहा था, तो 2000 रुपए के नोट से भ्रष्टाचार कैसे खत्म हो जाएगा? अब ये पूछेगा कि किस नोट को चलाना है और किसको नहीं इस बात के फैसला संघ करता है कि सरकार और RBI.  एस. गुरुमूर्ति ने विपक्षियों को सरकार पर हमला करने के एक और हथियार दे दिया है.

यानी कि एस. गुरुमूर्ति के इस विवादस्पद वक्तव्य से अगर थोड़ा बहुत फायदा हुआ है तो नुकसान भी कम नहीं हुआ है.

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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