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Updated: 04 जुलाई, 2017 05:46 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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पहलाज निहलानी ने कहा था कि शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' के ट्रेलर में 'इंटरकोर्स' शब्द के इस्तेमाल को जायज ठहराने के लिए उन्हें एक लाख वोट मिल गए तो वो उसे क्लीयर कर देंगे, लेकिन 1 लाख से ज्यादा वोट मिलने पर भी निहलानी साहब चुप्पी साधे हुए हैं.

इस मामले पर बहुत से लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. लेकिन हाल ही में रैपर और एक्टिविस्ट सोफिया अशरफ ने जो प्रतिक्रिया दी है वो निहलानी जी को शर्मिंदा करने के लिए काफी है.

adult movieएडल्ट मूवी, जो केवल 36 साल पार कर चुके लोगों के लिए है

सोफिया एक 'एडल्ट मूवी' लेकर आई हैं, जो केवल 36 साल या उससे ज्यादा की उम्र के लिए उपयुक्त है. वीडियो में दिखाया गया है कि वो किस तरह पिज्जा डिलिवरी बॉय के साथ डील कर रही हैं कि अगर पैसे न हों तो वो और किस तरह उसे 'पे' कर सकती हैं.

देखिए ये शानदार एडल्ट वीडियो-

जैसा कि सोफिया ने कहा कि 'एडल्ट मूवी का मतलब ये नहीं कि फिल्म अशलील ही होगी'.

वीडियो में उन्होंने कहा कि-

''मैं 36 साल के लोगों से ये बात कहना चाहती हूं कि अगर आप इस उम्र के आस-पास हैं तो संभव है कि आपका 12 साल के आस-पास का बच्चा भी होगा, और उस वक्त आपकी पहली जिम्मेदारी ये नहीं होनी चाहिए कि आपको अपने बच्चों को इंटरकोर्स जैसे 'हानिकारक' शब्दों से दूर रखना है बल्कि आपको उनके साथ इंटरकोर्स जैसे शब्दों पर बात करनी चाहिए. क्योंकि भले ही आपको अच्छा लगे या न लगे लेकिन आपका टीनेजर बच्चा कहीं न कहीं इंटरकोर्स शब्द पर बात कर रहा होगा या फिर आने वाले समय में 'सेक्सुअल इंटरकोर्स' का अनुभव भी कर रहा होगा. और तब अगर आपके बच्चे को इसके बारे में पता चले, तो क्या आपको नहीं लगता कि ये सब जानकारी उसे आपकी तरफ से मिलती तो ज्यादा अच्छा होता?

जरा सोचिए उससे इसके बारे में कौन बात करेगा? न तो स्कूल ही उसे इस बारे में बताएंगे और न ही बॉलीवुड सो तो पक्का उन्हें कुछ जानने को नहीं मिलने वाला. तो ऐसे में वो अपने साथियों और इंटरनेट पर ही निर्भर रहते हैं. तो क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे खुद हार्मोन्स से पीड़ित किशोरों से ज्ञान लें जो अपनी संतुष्टी के लिए अनैतिक चीजों और पोर्न का सहारा लेते हों? नहीं न ?? तो पेरेंट्स आप अपने बच्चों से सेक्स के बारे में बात कीजिए, क्योंकि चीजों को साफ करना उन्हें धुंधला करने से ज्यादा बेहतर है.''

सोफिया ने तो अपनी बात कहकर नैतिक जिम्मेदारी पूरी कर ली, लेकिन नैतिक और अनैतिक के बीच में फंसा समाज अपनी जिम्मेदारियां कब पूरी करेगा ये समाज को ही सोचना होगा, हमारी फिल्मों या सेंसरबोर्ड को नहीं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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